Move to Jagran APP

विवादों से हांगलू का रहा है पुराना नाता

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू का विवादों से पुराना नाता रहा है। शिक्षक भर्ती में धांधली, 54 पदों पर अवैध नियुक्ति जैसे आरोप इन पर लग चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 04:11 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 04:11 PM (IST)
विवादों से हांगलू का रहा है पुराना नाता

अमरीश शुक्ल, इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू का विवादों से नाता शुरू से ही रहा है। प्रवेश में धांधली, विश्वविद्यालय में 54 पदों पर बिना यूजीसी की मंजूरी लिए नियुक्ति, शिक्षक भर्ती में अनियमितता के आरोप, हाईकोर्ट की लगातार अवमानना, सेवानिवृत्त शिक्षकों को कक्षाएं न देना और बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर बिना पढ़ाए 1.28 करोड़ रुपये का भुगतान करना, ऐसे लोगों की महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति करना जिन पर छेड़खानी के मुकदमे दर्ज हैं जैसे गंभीर आरोप हैं।

loksabha election banner

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी ने पिछले दिनों इन्हीं आरोपों के सापेक्ष विश्वविद्यालय आकर कुलपति, शिक्षकों, अधिकारियों एवं छात्रों से मुलाकात की थी। आइआइएससी बंगलुरू के डॉ. गौतम देशी राजू की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी में शामिल पांच सदस्यों के समक्ष विश्वविद्यालय में छात्रनेताओं ने शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोप और हास्टल एलाटमेंट में देरी और असुविधाओं का मुद्दा जोरशोर से उठाया था। प्रो. गौतम की अध्यक्षता एवं संयोजक प्रो. केपी पांडियन की अगुवाई में पहुंची कमेटी ने शिक्षक भर्ती, हॉस्टल की समस्या, वित्तीय अनियमितताओं आदि की पड़ताल की थी। जांच कमेटी ने कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू से बात की थी। कुलपति ने अपने को पाकसाफ बताया था। जांच कमेटी ने चौधरी महादेव प्रसाद, श्यामा प्रसाद मुखर्जी में डायरेक्ट इंटरव्यू के जरिए शिक्षक भर्ती में लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों को भी टटोला था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित मिश्र व रजनीश कुमार सिंह रिशू ने असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में धांधली के आरोप लगाए थे। छात्रनेताओं ने लिखित परीक्षा से शिक्षक पदों पर चयन की मांग की थी। आरोप था कि विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने अपने नाते-रिश्तेदारों को भर लिया। इन्हीं बिंदुओं की जांच की मांग समय समय पर होती रही है। कुलपति के खिलाफ लगे प्रमुख आरोप :

-सीएमपी के प्रिंसिपल का पांच वर्ष कार्यकाल बढ़ाया जाना।

-डायरेक्ट चयन के जरिए शिक्षक भर्ती में अपने चहेतों को भरना। एक्सपर्ट पैनल व चयनितों के नाम पहले से सार्वजनिक होना।

-स्क्रीनिंग प्रक्रिया में मनमानी, सेलेक्शन कमेटी में शामिल एक्सप‌र्ट्स के नाम में गोपनीयता न होना।

-हॉस्टल एलाटमेंट और पजेशन में देरी, कुर्सी मेज और फर्नीचर न मिलना, ठेके पर प्राईवेट मेस का संचालित होना।

-हास्टल्स में साफ सफाई एवं प्रदूषित जलापूर्ति, विवि को यूजीसी से मिलने वाले पैसे का कंपलीट यूटिलाइजेशन न होना।

-दीक्षा समारोह न होना, टाइम टेबिल के अनुसार क्लासेस न चलना।

-वाई फाई फैसेलिटी के सही से काम न करने का मामला।

-बायोटेक्नोलॉजी विभाग की लैब और क्लासेस में संसाधनों का भारी अभाव, इससे प्रभावित हो रहा रिसर्च वर्क।

-प्रवेश में धांधली, रिसर्च के दाखिले में भारी लेटलतीफी, प्रशासनिक लचरता एवं संवादहीनता आदि।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.