Move to Jagran APP

Gurunanak Jayanti 2020: तीर्थराज प्रयाग आए थे गुरु नानक, 1508 में की थी माघ मेला में संगत

Gurunanak Jayanti 2020 गुरु नानक ने अपने जीवनकाल में चार यात्राएं की थीं। श्रीगुरु सिंह सभा खुल्दाबाद के अध्यक्ष सरदार जोगिंदर सिंह ने बताया कि गुरु नानकदेव अपनी तीसरी यात्रा के क्रम में गया पटना काशी अयोध्या होते हुए तीर्थराज प्रयाग की पावन भूमि पर पहुंचे थे।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 03:29 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 03:29 PM (IST)
Gurunanak Jayanti 2020: तीर्थराज प्रयाग आए थे गुरु नानक, 1508 में की थी माघ मेला में संगत
गुरु नानक देव 1508 में यहां संगम तट पर लगने वाले माघ मेले में दिसंबर माह में पहुंचे थे।

प्रयागराज, जेएनएन। सिख धर्म के प्रणेता और पहले गुरु श्रीनानक देव जी के कदम तीर्थराज प्रयाग में भी पड़े हैं। अपने शिष्यों के साथ देश-विदेश की यात्रा पर निकले गुरु नानक देव 1508 में यहां संगम तट पर लगने वाले माघ मेले में दिसंबर माह में पहुंचे थे, यहां पर संतों के संग समागम करने के साथ अपने शिष्यों को आशीर्वाद दिया था।  

loksabha election banner

अयोध्या से चलकर शिष्यों के साथ पहुंचे थे माघ मेला क्षेत्र

गुरु नानक ने अपने जीवनकाल में चार यात्राएं की थीं। इस दौरान वह मानवता का संदेश लेकर कई देशों में गए थे। श्रीगुरु सिंह सभा खुल्दाबाद के अध्यक्ष सरदार जोगिंदर सिंह ने बताया कि गुरु नानकदेव अपनी तीसरी यात्रा के क्रम में गया, पटना, काशी, अयोध्या होते हुए तीर्थराज प्रयाग की पावन भूमि पर पहुंचे थे। बताया कि जहां भी संत समागम होता था गुरु जी वहां पहुंचते थे क्योंकि वहां पर सिख धर्म से जुड़ी बातों और विचारधारा को अधिक लोगों तक पहुंचा पाना सहज होता था। गुरु नानक देव जीवन वृत में इन यात्राओं का उल्लेख मिलता है।

झूंसी की तरफ उदासीन अखाड़े में डाला था अपना डेरा

सरदार जोगिंदर सिंह के मुताबिक गुरु नानकदेव ने श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में दो माह बिताए थे। वहां से चलकर वे संगम तट पर लगने वाले माघ मेले में पहुंचे थे। शिष्यों के साथ झूंसी क्षेत्र में उदासीन अखाड़े के शिविर में कई दिनों तक रहे थे। इस दौरान उन्होंने संतों के साथ समागम भी किया था।

गुरु नानकदेव जी का है इस बार 551वां प्रकाश पर्व

गुरु नानक देव का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन संवत 1527 अथवा 15 अप्रैल 1469 को रायभोई तलवंडी (वर्तमान में ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। 22 सितंबर 1539 में पंजाब के करतारपुर में देह त्यागा था। गुरु नानक देव ने 1499 से लेकर 1539 तक विभिन्न देशों में सिख धर्म का प्रचार-प्रसार किया। कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर को उनका 551वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सिख समाज ने इस बार गुरु पर्व पर होने वाले तमाम कार्यक्रमों को निरस्त कर दिया है। कोरोना से बचाव के नियमों का पालन करते हुए गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब पर मत्था टेकने और शबद-कीर्तन के माध्यम से गुरु को याद किया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.