प्रयागराज में हिंदुस्तानी एकेडेमी के कुलगीत में गुरु गोरखनाथ और योगी का बखान
हिंदुस्तानी एकेडेमी की स्थापना 29 मार्च 1927 को किया गया। तत्कालीन शिक्षा मंत्री राय राजेश्वर बली ने एकेडेमी की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। सर तेजबहादुर सप्रू एकेडेमी के पहले अध्यक्ष बनाए गए। पहली काउंसिल के सदस्य प्रख्यात कथाकार मुंशी प्रेमचंद अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध श्याम सुंदर दास थे।
प्रयागराज, जेएनएन। ब्रिटिश हुकूमत में हिंदी-उर्दू साहित्य के संवर्धन को स्थापित हिंदुस्तानी एकेडेमी का कुलगीत बनाया गया है। हर प्रमुख संस्थानों की तरह एकेडेमी में होने वाले कार्यक्रम से पहले उसका कुलगीत गाया जाएगा। कवि जयकृष्ण राय तुषार द्वारा 40 लाइन में लिखे गए कुलगीत में प्रयागराज के धार्मिक, साहित्यिक व सांस्कृतिक विरासत का बखान है। गुरु गोरखनाथ के नाम पर दिये जाने वाले पुरस्कार का जिक्र है। ऋषि भारद्वाज के साथ योगी का प्रयागराज से नाता जोड़ा गया है। इनके साथ एकेडेमी के मौजूदा अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह को महिमामंडित करते हुए उनके प्रयास की सराहना है। पंत, निराला, अकबर, फिराक, बच्चन, महादेवी जैसे रचनाकारों का जिक्र है। इनके साथ तुलसी व कबीर भी याद किए गए हैं।
1927 में की गई थी एकेडेमी की स्थापना
हिंदुस्तानी एकेडेमी की स्थापना 29 मार्च 1927 को किया गया। तत्कालीन शिक्षा मंत्री राय राजेश्वर बली ने एकेडेमी की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। सर तेजबहादुर सप्रू एकेडेमी के पहले अध्यक्ष बनाए गए। जबकि इसकी पहली काउंसिल के सदस्य प्रख्यात कथाकार मुंशी प्रेमचंद, अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध, श्याम सुंदर दास जैसे रचनाकार थे। सप्रू के बाद राय राजेश्वर बली, डॉ. रामकुमार वर्मा, डॉ. जगदीश गुप्त, डॉ. योगेंद्र प्रताप सिंह, न्यायमूर्ति डॉ. सुरेंद्रनाथ द्विवेदी, न्यायमूर्ति कमलाकांत वर्मा, कैलाश गौतम आदि अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। स्थापना के 93 साल की लंबी अवधि के बाद एकेडेमी का कुलगीत तैयार किया गया है। एकेडेमी के अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह का कहना है कि कुलगीत के जरिए हिंदुस्तानी एकेडेमी का वैभव गान होगा। हर व्यक्ति एकेडेमी व प्रयागराज से खुद को आसानी से जोड़ सकेगा।