Move to Jagran APP

प्रयागराज की साहित्यिक परंपरा को गुफ्तगू ने सही मायने में कायम रखा है : डाॅ. अजय मालवीय

प्रयागराज की साहित्यिक परंपरा को सही मायने में गुफ्तगू ने कायम रखा है। इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि गुफ़्तगू के मौजूद अंक में शम्सुरर्हमान फ़ारूक़ी का एक महत्वपूर्ण लेख ‘क्लासिकी ग़ज़ल की शेरीआत’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ है सभी ग़ज़ल लिखने वालों को यह लेख अवश्य पढ़ना चाहिए।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 01:00 PM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 01:00 PM (IST)
प्रयागराज की साहित्यिक परंपरा को गुफ्तगू ने सही मायने में कायम रखा है : डाॅ. अजय मालवीय
गुफ़्तगू पत्रिका के हर अंक में उर्दू के साथ हिन्दी साहित्य भी भरपूर मात्रा में प्रकाशित हो रही है।

प्रयागराज, जेएनएन। देश के मौजूदा हालात में भाषाई एकता की सबसे अधिक आवश्यकता है, ताकि भाषा के आधार पर लोग एक दूसरे को जाने समझें और उस पर काम करें। ऐसे ही काम को अंजाम दे रही है गुफ़्तगू पत्रिका। इसके हर अंक में उर्दू के साथ हिन्दी साहित्य भी भरपूर मात्रा में प्रकाशित हो रही है। यही वजह है दोनों ही भाषाओं के लोगों में यह पत्रिका समान रूप से लोकप्रिय है। मौजूद अंक में जहां डाॅ. बशीर बद्र और मुनव्वर राना जैसे लोगों की ग़ज़लें छपी हैं तो दूसरी ओर प्रो. सोम ठाकुर और यश मालवीय की भी कविताएं हैं। यह बात रविवार को गुफ़्तगू की ओर से करैली स्थित अदब घर में आयोजित विमोचन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मशहूर उर्दू अदीब डाॅ. अजय मालवीय ने कही।

loksabha election banner

नामचीन लोगों के साथ नए लोगों को भी मिले स्‍थान

उन्होंने कहा कि प्रयागराज की साहित्यिक परंपरा को सही मायने में गुफ्तगू ने कायम रखा है।  इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि गुफ़्तगू के मौजूद अंक में शम्सुरर्हमान फ़ारूक़ी का एक महत्वपूर्ण लेख ‘क्लासिकी ग़ज़ल की शेरीआत’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ है, सभी ग़ज़ल लिखने वालों को यह लेख अवश्य पढ़ना चाहिए। इसी तरह इस अंक डाॅ. बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, मंज़र भोपाली, मुनव्वर राना जैसे नामचीन लोगों की भी ग़ज़लें नए लोगों के साथ छपी है। हमारी हमेशा से कोशिश रही है कि नामचीन लोगों के साथ नए लोगों को भी स्थान दिया जाए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. सुरेश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि आज के दौर में जब बड़ी-बड़ी साहित्यिक पत्रिकाएं बंद हो रही हैं, गुफ़्तगू का प्रकाशन जारी है और इसमें निरंतर निखार आ रहा है। गुफ़्तगू जैसी पत्रिका एक तरह से साहित्यिक नगरी प्रयागराज की पहचान बन गई है। यह पत्रिका पूरे देश के साथ कुछ दूसरों मुल्कों में भी पढ़ी जा रही है। विशिष्टि अतिथि संजय सक्सेना ने कहा कि आज के दौर में साहित्यिक पत्रिका निकलना बहुत बड़ा और कठिन काम है, लेकिन इम्तियाज़ ग़ाज़ी यह काम बेहतरीन तरीके से कर रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन फ़रमूद इलाहाबादी ने किया।

दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया गया। डाॅ. नीलिमा मिश्रा, शैलेंद्र जय, अफसर जमाल, श्रीराम तिवारी, शिवाजी यादव, असद ग़ाज़ीपुरी, राम कैलाश प्रयागवासी, प्रभाशंकर शर्मा, पूजा कुमारी रूही, प्रभाकर केसरी, राकेश मालवीय, जीशान चमन, प्रकाश सिंह अश्क, सुजाता सिंह, आसिफ उस्मानी आदि ने कलाम पेश किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.