ड्यूटी के बावजूद कोर्ट में नहीं रहने वाले सरकारी वकीलों को सरकार की चेतावनी, खत्म हो सकती है आबद्धता
सुनवाई के दौरान केवल एक ही अपर शासकीय अधिवक्ता के उपस्थित रहने से कोर्ट को समुचित सहयोग न मिल पाने पर न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार ने प्रमुख सचिव न्याय को तलब किया था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि छह राज्य विधि अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है।
प्रयागराज, विधि संवाददाता। राज्य विधि अधिकारियों की ड्यूटी के बावजूद कोर्ट में गैर मौजूदगी को लेकर प्रमुख सचिव न्याय/विधि परामर्शी ने कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने सभी राज्य विधि अधिकारियों को सुनवाई के समय कोर्ट में मौजूद रहने का निर्देश दिया है तथा कहा है कि अनुपस्थित रहने पर यदि कोर्ट को परेशानी हुई तो आबद्धता समाप्त कर दी जायेगी।
सुनवाई के दौरान केवल एक ही अपर शासकीय अधिवक्ता के उपस्थित रहने से कोर्ट को समुचित सहयोग न मिल पाने पर न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार ने प्रमुख सचिव न्याय को तलब किया था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि छह राज्य विधि अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। सात दिन में एक्शन लेंगे और उचित व्यवस्था की जायेगी। हाई कोर्ट ने अमृतानंद उर्फ त्रिभुवन अर्जारिया उर्फ बाबा की आपराधिक अपील एक माह बाद 23अगस्त को सुनवाई के लिए पेश करने का निर्देश दिया है।
ताकि कोर्ट को कोई असुविधा न होने पाए
एक दिन पहले ही विशेष सचिव राकेश कुमार शुक्ल ने आदेश जारी कर सभी राज्य विधि अधिकारियों को सुनवाई के समय कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया ताकि कोर्ट को कोई असुविधा न होने पाए। इससे पहले राज्य सरकार ने कोरोना काल में बहस करने और बहस न करने वाले सभी सरकारी वकीलों की फीस में 20 से 30 फीसदी की कटौती करने का आदेश दिया है। वकीलों को कोर्ट में बहस न करने की छूट दी है। हाईकोर्ट ने भी एक कोर्ट में एक साथ छह वकीलों के ही मौजूद रहने का निर्देश जारी किया है और कहा है कि केवल दो ही सरकारी वकील कोर्ट सुनवाई में मौजूद रहेंगे। इसी छूट का फायदा उठाकर 70 फीसदी सरकारी वकील कोर्ट में नहीं आते। बहस करने वाले वकीलों पर ही कोर्ट को सहयोग देने का बोझ रहता है। आपराधिक अपील की तैयारी बगैर ठीक से बहस नहीं हो सकती। लिहाजा कोर्ट ने कहा कि बारी बारी अन्य वकील केस तैयार कर कोर्ट को सहयोग दे। तालमेल की कमी के कारण दिक्कत खड़ी हुई और सही स्थिति से अनजान कोर्ट को सरकारी वकीलों की गैर मौजूदगी नागवार गुजरी तो व्यवस्था सुधारने के लिए विधि परामर्शी को तलब कर लिया और कोर्ट को सही जानकारी देने की बजाय प्रमुख सचिव न्याय ने कड़ी चेतावनी जारी करा दी।