जानिए ! यहां पर कबाड़ की तरह पड़ा रहता है सोना Prayagraj News
देश में पैदा हो रहा कचरा और गंदगी एक तरह की संपदा है। इसके सही प्रबंधन उपचार से पर्यावरण सुधरेगा एवं देश की आर्थिक स्थिति मजबूत बनेगी।
प्रयागराज,जेएनएन। समूचे देश में खदान से सालभर में जितना सोना निकलता है। उसका 11 फीसद सोना कबाड़ में पड़ा है। मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर, एलसीडी इत्यादि के ई-वेस्ट से पर्याप्त सोना प्राप्त किया जा सकता है। यहां तक कि वॉशिंग मशीन के कचरे में भी सोना होता है। इलेक्ट्रॉनिक कचरे के निस्तारण से पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ मिल सकता है। ये बातें फ्रांस के डी पेरिस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एरिक ने कहीं।
कचरा और गंदगी एक तरह की संपदा
प्रोफेसर एरिक मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन जैव संगम-2020 के उद्घाटन अवसर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा देश में पैदा हो रहा कचरा और गंदगी एक तरह की संपदा है। इसके सही प्रबंधन, उपचार से पर्यावरण सुधरेगा एवं देश की आर्थिक स्थिति मजबूत बनेगी। नाकारा हो चुके दुपहिया और चार पहिया वाहनों से भी धातुएं निकाली जा सकती हैं।
वेस्ट मैनेजमेंट में स्किल प्रशिक्षण की जरूरत
इसके लिए जागरूक होने जरूरत है। उन्होंने वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में स्किल प्रशिक्षण की आवश्यकता जताते हुए कहा कि इससे कचरे का लाभदायक उपयोग होना तो सुनिश्चित होगा। रोजगार के अवसर के साथ प्रदूषित आबोहवा में सुधार करने एवं स्वच्छ भारत अभियान को सफल बना सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक कचरे को कहां फेंका जाना है, किस स्तर पर और कैसे इसका निस्तारण होना है। इसकी जानकारी ज्यादातर लोगों को नहीं है। ई-वेस्ट से भी पहले प्लास्टिक, धातु, लोहा और तांबा को अलग किया जाता है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के प्रो. पीके गुप्त ने नई जीन तकनीकी के बारे में बताया कि नई तकनीकी से फसलों की पैदावार बढ़ाने के साथ असाध्य रोगों का उपचार भी आसानी से खोजा जा सकता है। सम्मेलन का संयोजन डॉ. एनके सिंह ने किया। इस दौरान कार्यवाहक निदेशक प्रो. एमएम गोरे, प्रो. कृष्णा मिश्र, प्रो. शिवेश शर्मा, डॉ. एनके सिंह, डॉ. आशुतोष आदि लोग मौजूद रहे।