मौसा के उत्पीडऩ से त्रस्त होकर छात्रा ने दी जान Prayagraj News
मौसा के रहते वह उसके डर से मां को कुछ बता नहीं पा रही थी। रश्मि ने बेटी को समझाया कि वह शांत रहे। वह घर आकर बात करती है।
प्रयागराज,जेएनएन । फाफामऊ की शांतिपुरम कॉलोनी में प्रतियोगी छात्रा की खुदकशी के मामले में सगे मौसा के खिलाफ मुकदमा लिखा गया है। मां का आरोप है कि मौसा की प्रताडऩा से परेशान होकर उनकी बेटी ने जान दी है। पुलिस छानबीन कर रही है।
मां एक निजी अस्पताल में हैं नर्स
मूल रूप से सुल्तानपुर के लम्भुवा इलाके की रश्मि श्रीवास्तव यहां बालसन चौराहा के निकट एक निजी अस्पताल में बतौर नर्स कार्यरत हैैं। 21 साल की मुस्कान उनकी इकलौती बेटी थी। शादी के कुछ ही महीने बाद रश्मि के पति संजय श्रीवास्तव उन्हें छोड़कर चले गए। रश्मि ने बेटी के साथ गुजारा करने के लिए नर्स की नौकरी कर ली। वह 10 महीने पहले तक शहर के अशोक नगर में किराए के कमरे में रहती थीं। फिर अपने बहनोई यानी छोटी बहन के पति अखिलेश श्रीवास्तव के कहने पर उसके शांतिपुरम कॉलोनी स्थित घर में रहने लगीं। अखिलेश प्रतापगढ़ के कौहड़ौर इलाके का रहने वाला है। वहीं वकालत करता है। यहां भी मकान में आता-जाता रहा है।
एसएससी की तैयारी कर रही थी छात्रा
बेटी मुस्कान बीए के बाद सिविल लाइंस के एक कोचिंग संस्थान से एसएससी की तैयारी कर रही थी। मां रश्मि के मुताबिक, गुरुवार शाम करीब चार बजे वह हॉस्पिटल में थीं तभी बेटी मुस्कान ने फोन किया और रोते हुए मौसा अखिलेश की हरकतों के बारे में बताने लगीं। मौसा के रहते वह उसके डर से मां को कुछ बता नहीं पा रही थी। रश्मि ने बेटी को समझाया कि वह शांत रहे। वह घर आकर बात करती है। मगर वह शाम करीब पौने छह बजे घर पहुंची तो दरवाजा अंदर से बंद था।
फंदे लटकती मिली लाश
काफी खटखटाने पर भी दरवाजा नहीं खुला तो रश्मि ने पड़ोसियों को बुलाया। धक्का देकर दरवाजा खोलने पर मुस्कान पंखे के हुक में बंधे दुपट्टïे के फंदे से लटकी मिली। मुस्कान को फंदे से उतारा गया, लेकिन उसकी मौत हो चुकी थी। खबर पाकर फाफामऊ चौकी की पुलिस पहुंची। पुलिस को सुसाइड नोट नहीं मिला। मोबाइल से सारा डाटा और व्हाट्सएप डिलीट था। मां रश्मि ने अपने बहनोई अखिलेश के खिलाफ प्रताडि़त कर मुस्कान को खुदकशी के लिए विवश करने का मुकदमा दर्ज कराया। थाना प्रभारी अनिल कुमार ने बताया कि जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर कार्रवाई होगी। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने यौन उत्पीडऩ की जांच के लिए भी नमूना सुरक्षित रखा है।