Ganga Yamuna Flood: प्रयागराज की बाढ़ में बह गया पड़ोसियों का मनमुटाव, बढ़े मदद के हाथ
Ganga Yamuna Flood प्रयागराज मेंं गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। यमुना का भी जलस्तर बढ़ रहा है। गंगा के कछारी इलाकों व शहर के निचले क्षेत्र में गंगा का पानी घुस गया है। ऐसे में लोग आपसी मनमुटाव को भुलाकर एक-दूसरे की मदद कर रहे।
प्रयागराज, [अमलेंदु त्रिपाठी]। प्रयागराज में गंगा का जलस्तर बढऩे से कछारी इलाकों के हजारों घर पानी की जद में आ चुके हैं। बेली गांव, राजापुर उंचवागढ़ी, म्योराबाद, ओम नगर, नेवादा के तमाम घरों में पानी पहुंच चुका है। इससे लोगों की मुश्किल बढ़ गई है। लोग सुरक्षित ठिकानों की ओर जा रहे हैं। कुछ लोगों ने अपने घर की छतों पर ही पन्नी डालकर आसरा बना लिया है। हालांकि शाम को बारिश होने से उनकी मुसीबत और बढ़ गई। इन सब के बीच यदि कुछ अच्छा दिखा तो वह यह कि जिन पड़ोसियों के बीच कभी मनमुटाव होता था। वह एक दूसरे से बात भी नहीं करते थे, अब करीब आ गए हैं। एक दूसरे की मदद में जुटे हैं।
आफत की घड़ी में एक-दूसरे की सहायता करने में जुटे लोग
नेवादा निवासी राजबहादुर के घर में तेज गति से पानी घुसा तो पड़ोसी गोलू, अनुराग व अजय आ गए। उन्होंने जरूरी सामान आलमारी, टाड़ व छत पर पहुंचाने में सहयोग किया। कुछ दिन पहले तक ये लोग आपस में बात भी नहीं करते थे। इसी तरह करीब 70 वर्षीय भुल्लर नाथ यादव 15 दिन पहले अस्पताल से डिस्चार्ज होकर आए हैं। उनके घर में भी पानी भरने लगा। कोई सहयोगी न होने से परेशान हो उठे, तभी मोहल्ले के इंद्रजीत और गोलू खुद ब खुद आ गए। उन्होंने तख्त, फ्रिज सहित सभी सामान घर की दूसरी मंजिल पर पहुंचवा दिया। घर में बंधी गाय को भी सुरक्षित ठिकाने पर ले गए। इस तरह की कई घटनाएं मोहल्लों में देखने को मिलीं। लोग एक दूसरे की मदद के लिए आगे आए।
बढ़ी मवेशियों की मुश्किल
गंगा का जलस्तर बढऩे से मवेशियों की भी मुश्किल बढ़ गई है। उनके लिए चारा और पानी का भी संकट खड़ा हो गया है। उन्हें कहां रखा जाए मवेशी पालने वालों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। अधिकांश लोगों ने अपने पशुओं को गलियों में खुला छोड़ दिया है।
पीने के पानी और शौचालय की दिक्कत
तेलियरगंज के जोंधवल इलाके में भी पानी पहुंच गया है। घरों में चोरी आदि के डर से लोग वहां से हटने को तैयार नहीं हैं। जल स्तर बढऩे से क्षेत्र की बिजली सप्लाई बंद कर दी गई है। वहां रह रहे लोगों के समक्ष पीने का पानी और शौचालय का संकट खड़ा हो गया है।