Ganga-Yamuna Flood Effect: खूंटे से बंध गई नावें तो भुखमरी की कगार पर पहुंचे नाविक
Ganga-Yamuna Flood Effect पर्यटकों को घुमाने और श्रद्धालुओं को संगम स्नान कराने के साथ ही इसी पानी के ऊपर रात-दिन गुजारने वाले नाविकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। गंगा और यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर से प्रयागराज में नाव चलाने पर प्रतिबंध लगा है।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम है। यहां देश ही नहीं, विदेशों से भी लोग यहां आते हैं। पर्यटक जहां गंगा, यमुना नदियों में सैर के लिए नौका विहार करते हैं वहीं श्रद्धालु बोट से भी संगम स्नान को जाते हैं। इससे स्थानीय नाविकों की रोजी-रोटी का सहारा रहता है। हालांकि गंगा-यमुना नदियों में बाढ़ आने से नाविकों के समक्ष आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है।
प्रशासन ने नाव संचालन पर लगाया प्रतिबंध
पर्यटकों को घुमाने और श्रद्धालुओं को संगम स्नान कराने के साथ ही इसी पानी के ऊपर रात-दिन गुजारने वाले नाविकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। गंगा और यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर से प्रयागराज में आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बाढ़ के चलते प्रशासन ने नदी में नाव चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। फलस्वरूप नाविकों के आय के साधन पूरी तरह से ठप हो गया है।
नाविकों के घरों में बाढ़ का पानी
अरैल, महेवा, बसवार, मड़ौका मोहब्बत गंज घाट पर सैकड़ों नाविकों की रोजी रोटी चलती थी। कुछ लोगों को संगम स्नान कराने और कई बालू की ढुलाई कर अपना जीविका चलाते थे। नदी में बाढ़ आने के साथ ही उनकी रोजी रोटी पूरी तरह से ठप हो गई है। कई नाविकों के घर में खाने के लाले पड़ गए हैं। घरों में बाढ़ का पानी घुसने से स्थित और भी कठिन हो गई है। बाढ़ से पीड़ित कई नाविकों का परिवार दूसरे के दरवाजे पर डेरा जमाए हुए हैं।
बोले नाविक- परिवार का खर्च चलाना मुश्किल
अरैल गांव निवासी संजय निषाद का कहना है कि पिछले कई सालों से उनकी रोजी रोटी पर संकट है। पुश्तैनी कामकाज अब पेट की भूख नहीं मिटा पा रही है। माघ मेले के समय प्रशासन की ओर से पर्व के दिन नाव का संचालन बंद करा दिया जाता है, जबकि उन्हीं मौकों पर कमाई अच्छी होती है। इसके अलावा बाढ़ के दौरान आपदा के चलते कई सप्ताह तक नाव का संचालन प्रतिबंधित रहता है। ऐसे में परिवार चलाना मुश्किल हो जाता है।
कमाई का जरिया ठप : लल्लू निषाद
बसवार के लल्लू निषाद कहते हैं कि शासन प्रशासन की ओर से कई सालों से बालू की निकासी बाधित रखने से परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। पेट की भूख मिटाने के लिए चोरी छिपे कुछ करने पर पुलिस का डर बना रहता है। इन दिनों बाढ़ के चलते पिछले दो सप्ताह से कमाई का जरिया पूरी तरह से ठप है। महंगाई के चलते दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है। अरैल के सुनील निषाद की माने तो कोई अच्छा धंधा मिल जाता तो नाव चलाना बंद कर देते। बाढ़ से आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।