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गंगा खतरे के निशान से ऊपर, यमुना नदी मात्र कुछ सेमी दूर Prayagraj News

आखिर जिसका डर था वही हुआ। गंगा नदी का जलस्‍तर खतरे के निशान को पार कर गया है। दूसरी ओर यमुना नदी भी तेजी से खतरे के निशान को छूने को आतुर नजर आ रही है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 17 Sep 2019 12:55 PM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 12:55 PM (IST)
गंगा खतरे के निशान से ऊपर, यमुना नदी मात्र कुछ सेमी दूर Prayagraj News
गंगा खतरे के निशान से ऊपर, यमुना नदी मात्र कुछ सेमी दूर Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। गंगा का जलस्तर मंगलवार की दोपहर खतरे का निशान पार गया। गंगा यहां लाल निशान 84.73 मीटर के ऊपर बहने लगी हैैं। यमुना भी खतरे की निशान के बिल्कुल करीब पहुंच गई हैैं। यमुना का जलस्तर लाल निशान 84.73 मीटर से मात्र 17 सेमी नीचे हैै। दोनों नदियों में आई बाढ़ निचले इलाकों में कहर बरपाने लगी हैैं। विकराल रूप धारण कर चुकीं दोनों नदियों ने शहर के लगभग 50 मोहल्लों और 112 गांवों को चपेट में ले लिया है। इससे दो लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हो गए हैं। वहीं 20 हजार लोग बेघर हुए हैं। इसके साथ ही हजारों एकड़ फसलें जलमग्न हो गई है और कईं गांवों का संपर्क कट गया है।

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एहतियातन तीनों पुलों पर घटाई ट्रेनों की स्पीड

गंगा और यमुना का जलस्तर लगातार बढऩे पर नैनी, फाफामऊ और झूंसी पुल से होकर गुजरने वाली ट्रेनों की स्पीड घटा दी गई है। ट्रेनें 50 किलोमीटर की रफ्तार से ही पुल से गुजर रही हैं। रेलवे के अधिकारियों की नजर खतरे के निशान पर है। उनका कहना है कि जलस्तर के 84.73 मीटर के ऊपर जाने के बाद पुल पर 30 किमी का कॉशन लगा दिया जाएगा। साथ ही चौकसी और बढ़ा दी जाएगी।

नैनी, फाफामऊ और झूंसी पुल की पेट्रोलिंग बढ़ाई गई

जब से नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है, तब से नैनी, फाफामऊ और झूंसी पुल की पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। आरपीएफ रात में पुल पर विशेष ध्यान दे रही है। इसकी रिपोर्ट अधिकारियों को भेजी जा रही है। इलाहाबाद मंडल के जनसंपर्क अधिकारी सुनील कुमार गुप्ता का कहना था कि जलस्तर जैसे ही खतरे के निशान को पार करेगा, पुल पर 30 किलोमीटर का कॉशन लगा दिया जाएगा। आरपीएफ की टीम लगातार पुल पर नजर लगाए हुए है। अब चूंकि गंगा खतरे के निशान को पार कर गई हैं, ऐसे में ट्रेनों की रफ्तार और भी कम हो जाएगी।

संघ कार्यालय समेत दर्जनों आश्रमों में घुसा पानी

बाढ़ का पानी झूंसी के संघ कार्यालय समेत क्षेत्र के तमाम आश्रमों में घुस गया है। इसको लेकर साधु संतों की परेशानी भी बढ़ गई है। गंगा के जलस्तर में निरंतर हो रही वृद्धि से तटीय इलाकों के लोगों की नींद उड़ गई है। लोग घर छोड़कर पलायन कर रहे हैं। झूंसी कोहना निवासी रामसूरत, आशीष, राम सेवक, छंगू, जगन्नाथ, गीता घाट आश्रम, हंस कुटी आश्रम, सतुआ बाबा आश्रम, टीकरमाफी आश्रम, आरएसएस कार्यालय आदि जगहों पर बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। लोग छत पर रहने के लिए विवश हैं।

बदरा व सोनौटी गांव बना टापू

झूंसी के बदरा, सोनौटी, ढोलबजवा, इब्राहिमपुर, हेतापट्टी, नींबी व छतनाग सहित अन्य तटीय गांवों में हलचल मची है। बदरा व सोनौटी गांव बाढ़ के पानी से घिर जाने से टापू बन गया है। सोमवार को जलस्तर बढऩे से बचे-खुचे खेत भी पानी में समा गए। उधर तहसीलदार फूलपुर रामकुमार त्रिवेदी, कानूनगो मधू जैन व अन्य राजस्व कर्मी लीलापुर कला, लीलापुर खुर्द, मलखानपुर, कोटवा दुबावल, ककरा उपरहार, कतवारुपुर व ढोकरी आदि गांवों में जाकर बाढ़ का जायजा लिया। लीलापुर कला के प्रधान विनोद कुमार शुक्ला ने बताया कि बाढ़ का पानी गांव के निचले हिस्से में पहुंच गया है। इससे कई रास्ते बंद हो गए हैं।

लोग अंधेरे में रहने को मजबूर

बदरा, सोनौटी व ढोलबजवा गांव की बिजली काट दिए जाने से ग्रामीणों को रात अंधेरे में काटनी रही है। प्रशासन ने अभी तक ग्रामीणों को केरोसिन का वितरण नहीं कराया है। छात्रनेता राम प्रताप के अनुसार गांव में आधे लोगों के पास राशन कार्ड है जिन्हें अभी तक कोटेदार की ओर से केरोसिन उपलब्ध नहीं कराया है। इसके चलते लोग चिमनी जलाने से भी वंचित हैं। रजनीश यादव, नवाब अली, मुख्तार आदि का कहना है कि बिजली काट दिए जाने से गांव में अंधेरा पसरा रहता है। पानी से निकलकर विषैले जीव जंतु घरों में घुस रहे हैं।

फाफामऊ के कछारी इलाकों में मुसीबतों की बाढ़

फाफामऊ में लगातार गंगा का जलस्तर बढऩे के चलते सोमवार को कछारी इलाके पूरी तरह बाढ़ की चपेट में आ गए। घरों में पानी घुसने के बाद दर्जनों परिवारों को घर छोडऩा पड़ा है। कृष्णापुरम कालोनी के सदानंद तिवारी, बालकृष्ण पांडेय, दिवाकर सिंह, अवनीश शुक्ला सहित दर्जनों के घरों में पानी घुस गया है। गंगा नगर मोहल्ले में बनी हनुमान मंदिर का अधिकांश भाग डूब चुका है। सोरांव एसडीएम जितेंद्र पाल ने सोमवार की शाम बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया।

नैनी के निचले इलाके में घुसा पानी

बाढ़ का पानी नैनी क्षेत्र के निचले इलाकों में प्रवेश कर गया है। कछारी इलाके की फसल पूरी तरह जलमग्न हो गई है। यमुना के किनारे बसे महेवा, मड़ौका, मोहब्बतगंज, बसवार, कंजासा, बिरवल, पालपुर और गंगा के किनारे बसे अरैल, देवरख, बसवार, मवैया, लवायन, चाड़ी, चटकहना, मुंगारी, मनैया, डीहा, सेमरहा समेत तमाम गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है।  लोग मकान छोड़कर सुरक्षित स्थान पर चले गए हैैं। महेवा गांव में नई बस्ती में नाव के सहारे लोग एक-दूसरे स्थान पर पहुंच पा रहे हैं।


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