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Ganga Mashal Yatra: स्वच्छता की अलख जगाने संगम तट पर पहुंची गंगा मशाल यात्रा, भव्‍य स्‍वागत

Ganga Mashal Yatra सेना की ईकाेलाजी बटालियन के सदस्यों ने बताया कि गंगा मशाल यात्रा गंगा सागर तक जाएगी। जहां भी रुकेगी वहां नदियों और जलीय जीवों को बचाने का संदेश दिया जाएगा। प्रयागराज में यात्रा में शामिल लोगों का भव्‍य स्‍वागत किया गया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 13 Nov 2021 12:42 PM (IST)Updated: Sat, 13 Nov 2021 12:42 PM (IST)
Ganga Mashal Yatra: स्वच्छता की अलख जगाने संगम तट पर पहुंची गंगा मशाल यात्रा, भव्‍य स्‍वागत
प्रयागराज के संगम पर गंगा मशाल यात्रा में शामिल सदस्‍यों का भव्‍य स्‍वागत किया गया।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। नदियों के संरक्षण के साथ ही स्वच्छता की अलख जगाने के लिए सेना की गंगा मशाल यात्रा शनिवार की सुबह संगम तट पर पहुंच गई है। यह मशाल यात्रा हरिद्वार से शुरू हुई थी और समापन गंगासागर के तट पर होगा। इसमें शामिल लोगों का गर्मजोशी से प्रयागराज मेंं स्‍वागत, सत्‍कार किया गया। फूलपुर की सांसद केसरी देवी पटेल भी इस दौरान मौजूद रहीं। उन्होंने हरिद्वार से शुरू हुई इस यात्रा को जन सामान्य के लिए जीवन व संस्कृति का संदेश बताया।

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नदियों के दूषित होने से संस्‍कृति हो रही प्रभावित : सांसद केसरी देवी

सांसद केसरी देवी ने कहा कि यदि हम सब नदियों को बचाते हैं तो अपनी संस्कृति को बचा रहे हैं। इनके दूषित होने से हमारी संस्कृति प्रभावित हो रही है। जीवन तत्व भी घट रहा है। सेना की ईकाेलाजी बटालियन के सदस्यों ने बताया कि गंगा मशाल यात्रा गंगा सागर तक जाएगी। जहां भी रुकेगी वहां नदियों और जलीय जीवों को बचाने का संदेश दिया जाएगा।

सरस्‍वती घाट से वीआइपी घाट पहुंची यात्रा

इससे पहले सेना की गंगा टास्क फोर्स मशाल को लेकर सरस्वती घाट से वीआइपी घाट पहुंची। वहां पर तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रम चल रहे हैं। आम जनमानस को गंगा शपथ, गंगा सफाई जैसे आयोजन का हिस्सा बनाया गया। इस अवसर पर कुछ पर्यावरण प्रेमी भी मौजूद रहे। उन्होंने यात्रा का स्वागत करने पहुंचे विद्यार्थियों को जलीय जीवों और वनस्पतियों के बारे में बताया। प्रदूषित जल किस तरह से जीवन पर प्रभाव डाल रहा है। ईको सिस्टम कैसे बिगड़ रहा है इसकी भी जानकारी दी गई। नदियों की स्वच्छता के लिए हम सब क्या कर सकते हैं इस पर भी विस्तार से चर्चा हुई। नदी के तट पर पालीथिन का प्रयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित करने व पूजन सामग्रियों के अवशेष को जल में न प्रवाहित करने का भी संदेश दिया गया।


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