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Ganga Jamuni Tehzeeb : आरती-अजान की गूंज दे रही हिंदू-मुस्लिम एकता का पैगाम, खास है कौशांबी जिले का यह स्थान

Ganga Jamuni Tehzeeb बाजार घाट आश्रम के नजदीक पुराना शिवमंदिर मौजूद हैं। बगल में ही चंद कदम दूरी पर एक मस्जिद भी है। सुबह व शाम जहां लोग मंदिरों में पूजा पाठ करते हैं तो वहीं मस्जिद में अजान की सदाएं गूंजती हैं और नमाज भी पढ़ी जाती है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 05:14 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 06:03 PM (IST)
Ganga Jamuni Tehzeeb : आरती-अजान की गूंज दे रही हिंदू-मुस्लिम एकता का पैगाम, खास है कौशांबी जिले का यह स्थान
कौशांबी जिले में हिंदू-मुस्लिम एकता का पैगाम देते कड़ाधाम का महादेव मंदिर और मस्जिद मिसाल बना हुआ है।

कौशांबी, जेएनएन। कौशांबी जिले में हिंदू-मुस्लिम एकता का पैगाम देते कड़ाधाम का महादेव मंदिर और मस्जिद मिसाल बना हुआ है। महज 10 कदम की दूरी पर दोनों धार्मिक स्थल पर दोनों समुदाय के लोग बैठकर सामाजिक समरसता को बढ़ावा दे रहे हैं। सुबह-शाम आरती के बीच जहां भगवान का नाम लिया जाता है, वहीं, मस्जिद में अजान के बाद अल्ला हू अकबर की सदाएं गूंजती हैं।

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गंगा जमुनी तहजीब को लेकर प्रसिद्ध है कड़ाधाम

कड़ाधाम अतीत काल से ही गंगा जमुनी तहजीब को लेकर प्रसिद्ध है। यहां माता शीतला का मंदिर 51वी शक्तिपीठ में से एक है। सूफी संत मलूकदास आश्रम, कालेश्वर घाट में नागा बाबा की कुटी है, जिस पर राजा युधिष्ठिर ने शिवलिंग स्थापित की थी। इसी कुटी में ही आल्हा ऊदल के गुरु अमृरागुरु की समाधि है। राजा जयचंद का किला भी यहीं पर खंडहर के रूप में मौजूद है। गंगा के किनारे कुबरी घाट, कालेश्वर घाट, हनुमान घाट, बाजार घाट, वृंदावन घाट, अकबरपुर घाट है। डंडी स्वामी आश्रम भी यहां पर विराजमान है। मुस्लिम समुदाय के ख्वाजा कड़कशाह बाबा की दरगाह पर हर साल बहुत बड़ा उर्स होता है,जिसमें देश-विदेश से जायरीन आते हैं। यही पर हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करता एक ऐसा धार्मिक स्थल है, जहां पहुंचने के बाद जाति-धर्म से परे हटकर लोग सिर्फ ईश्वर की ही प्रार्थना में तल्लीन हो जाते हैं।

 शाम को मंदिर में होती है आरती तो मस्जिद में नमाज

बाजार घाट आश्रम के नजदीक पुराना शिवमंदिर मौजूद हैं। बगल में ही चंद कदम दूरी पर एक मस्जिद भी है। सुबह व शाम जहां लोग मंदिरों में पूजा पाठ करते हैं तो वहीं मस्जिद में अजान की सदाएं गूंजती हैं और नमाज भी पढ़ी जाती है। मोहम्मद अबरार, मकबूल, डॉ. जाहिद समेत श्यामू सोनकर, कामता प्रसाद निषाद व रामबरन यादव कहते हैं कि मंदिर और मस्जिद के चंद कदमों की दूरी पर होने से किसी तरह की समस्या हम लोगों को नहीं होती। बल्कि जिस समय मंदिर व मस्जिद से घंट-घड़ियाल व अजान की सदाएं गूंजती हैं तो लगता है कि हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है दोनों धार्मिक स्थल। मंदिर में रहने वाले रामभजन दास बाबा ने बताया की यहां हिंदू-मुस्लिम सब दर्शन करने के लिये आते हैं।

राजा जयचंद के जमाने से मंदिर और मस्जिद

एक तरफ शंकर जी की मंदिर और दूसरी तरफ मस्जिद दोनों मे श्रद्धा से लोग पूजा पाठ करते हैं। बाबा ने यह भी बताया की मंदिर और मस्जिद राजा जयचंद के समय से है, जो आज भी विराजमान है। वहीं गांव के रहने वाले मोहम्मद नूरी ने बताया की मस्जिद मुगल काल व राजा जयचंद के समय से है और इस मस्जिद में साल मे एक बार बड़े धूम धाम से बारावफात का जुलूस भी निकलता है। वहीं आश्रम के पुजारी ने यह भी बताया की यहां पर लाइट की व्यवस्था अभी तक नहीं हुई है। जिसके कारण यहां पर अंधेरा हो जाता है। इसकी शिकायत कई बार जिला प्राशसन से की गई, लेकिन अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया।


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