यूपीपीएससी के लगातार दूसरे अध्यक्ष का कार्यकाल दागदार, सपा सरकार में तैनात हुए थे डॉ अनिल व प्रो. अनिरुद्ध
उप्र लोकसेवा आयोग अध्यक्ष पद पर अखिलेश सरकार के दौरान तैनात हुए प्रो. अनिरुद्ध सिंह यादव लगातार ऐसे दूसरे चेयरमैन हैं जिनका कार्यकाल परीक्षाओं में गड़बड़ी के बीच गुजर रहा है।
प्रयागराज, जेएनएन। उप्र लोकसेवा आयोग अध्यक्ष पद पर अखिलेश सरकार के दौरान तैनात हुए प्रो. अनिरुद्ध सिंह यादव लगातार ऐसे दूसरे चेयरमैन हैं जिनका कार्यकाल परीक्षाओं में गड़बड़ी के बीच गुजर रहा है। लाख कोशिश के बावजूद प्रो. अनिरुद्ध सिंह अपने दामन को दागदार होने से नहीं बचा सके। जुलाई 2019 के शुरुआती दिनों में वह अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त होंगे और अगली छमाही का कैलेंडर स्थगित हो जाने से उनके निर्देशन में अब कोई परीक्षा भी नहीं होनी है। यह बात दीगर है कि एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी के आरोप परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार पर लगे लेकिन, छींटे पूरे यूपीपीएससी पर पड़े हैं।
ज्ञात हो कि प्रो. अनिरुद्ध सिंह यादव को 15 मार्च 2016 को यूपीपीएससी का चेयरमैन बनाया गया था। उस समय उप्र प्रदेश में सपा सरकार थी और पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के निर्देशन में अधिकांश परीक्षाओं में गड़बडिय़ों के आरोप लगे थे। अनिल को हाईकोर्ट की फटकार के बाद हटाया गया था। तब तक यूपीपीएससी परीक्षाओं के आयोजन को लेकर काफी बदनामी बटोर चुका था। भर्तियों में गड़बड़ी के खिलाफ 10 जुलाई 2013 से शुरू हुए अभ्यर्थियों के आंदोलन के आकड़े बताते हैं कि 19 जून 2018 तक 44 बार पुलिस की लाठियां और तीन बार गोली तक चली थी। यहां तक कि अधिकार मांगने वाले अभ्यर्थियों पर इनाम तक घोषित किया गया था।
यूपीपीएससी उन हालात से अब भी उबर नहीं पाया है। प्रो. अनिरुद्ध सिंह के बतौर चेयरमैन रहते भर्तियां विवादित और कोर्ट में दाखिल मुकदमों में विचाराधीन हैं। इतना जरूर है कि प्रो. अनिरुद्ध सिंह ने अपने कार्यकाल में लोअर सबऑर्डिनेट 2015, पीसीएस जे 2016 और पीसीएस 2016 सहित कुछ अन्य छोटी भर्तियों के परिणाम गैरविवादित देने की कोशिश की। लेकिन, एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती 2018 में शुरू से लगते आरोपों और पिछले दिनों उठे बवंडर ने कार्यकाल पूरा होने के एक माह रहते यूपीपीएससी के लगातार दूसरे चेयरमैन का दामन भी दागदार कर दिया है।
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