निश्शुल्क प्रसव योजना को पलीता लगा रहे स्वास्थ्यकर्मी Prayagraj News
स्वास्थ्य केन्द्र पर निश्शुल्क प्रसव कराने के पीछे सरकार की यह मंशा है कि सभी प्रसव सुरक्षित हो। केन्द्र और प्रदेश की सरकारें इस योजना में पानी की तरह पैसा बहा रही हैं लेकिन यह योजना निचले पायदान पर ही दम तोड़ रही है।
प्रयागराज, जेएनएन। केन्द्र और प्रदेश सरकारें सुरक्षित मातृत्व के लिए लाख जतन करने के साथ कृत संकल्प भी हैं किन्तु स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात स्वास्थ्य कर्मी उनके प्रयास को बट्टा लगाने का काम कर रहे हैं। ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात एएनएम व दायी के अलावा एम्बुलेंस वाले भी बगैर सुविधा शुल्क लिए हिलने का नाम नहीं लेते। सरकार द्वारा निश्शुल्क प्रसव के लाभार्थियों को दी जाने वाली चौदह सौ रुपये की धन राशि इन्ही के लिए कम पड़ जाती है।
सुविधा पाने के लिए देना पड़ता है सुविधा शुल्क
केन्द्र व प्रदेश सरकार भले ही शिशु मृत्यु दर को कम करने तथा कुपोषण से बचाने के लिए सभी गर्भवती महिलाओं के लिए जांच और टीके की व्यवस्था के साथ प्रत्येक माह की नौ तारीख को गर्भवती महिलाओं के चेकप के लिए स्वास्थ्य केन्द्र तक आने और जाने की निश्शुल्क व्यवस्था की है लेकिन बिना चढ़ावा दिए सरकार की यह सुविधा लोगों को मिल नहीं पा रही है।
योजना के प्रसार को तैनात कर्मी ही चढ़ा रहे भ्रष्टाचार की भेंट
स्वास्थ्य केन्द्र पर निश्शुल्क प्रसव कराने के पीछे सरकार की यह मंशा है कि सभी प्रसव सुरक्षित हो। केन्द्र और प्रदेश की सरकारें इस योजना में पानी की तरह पैसा बहा रही हैं लेकिन यह योजना निचले पायदान पर ही दम तोड़ रही है। दरअसल इस योजना को लागू कराने में लगे लोग ही इसको भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दे रहे हैं। भुक्तभोगियों का कहना है कि गांवों में तैनात एएनएम हर प्रसव पर एक हजार रुपये सुविधा शुल्क लेती हैं कि प्राइवेट अस्पताल में सामान्य प्रसव कराने में तकरीबन पांच हजार रुपये खर्च हो जाते हैं, हम तो हजार रुपये ही मांग रहे हैं। योजना में लगी दायी भी दो सौ रुपये यह कह कर ले लेती है कि उसको वेतन नहीं मिलता है, इसके बाद घर पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस वाला भी महिला को घर छोडऩे के नाम पर दो सौ रुपये लेना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझता है।
पीडि़तों की शिकायत को अनसुना करते हैं जिम्मेदार
इस प्रकार चौदह सौ रुपये मिलने वाली सरकारी सहायता की धनराशि स्वास्थ्य विभाग की निश्शुल्क सेवा टीम की भेंट चढ़ जाता है। इस तरह स्वास्थ्य कर्मचारी लोगों को बेहतर स्वास्थ्य और सुविधा देने की सरकार की मंशा को धता बता रहे हैं। स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात जिम्मेदार भी ऐसे मामले में शिकायत को नजरअंदाज करते हैं।