दूसरे के आधार कार्ड पर फर्म का रजिस्ट्रेशन, फर्म का अस्तित्व भी नहीं, कर डाला आठ करोड़ का फर्जीवाड़ा Prayagraj News
सीजीएसटी विभाग के डिप्टी कमिश्नर धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि आइटीसी के लिए व्यापारी फर्जी फर्म बनाकर करोड़ों का कारोबार करते हैं। लेकिन जांच में पकड़े जाने पर उसकी रिकवरी की जाती है। इस प्रकरण में भी रिकवरी की जाएगी।
प्रयागराज, [राजकुमार श्रीवास्तव]। इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का लाभ लेने के लिए कतिपय कारोबारी फर्जीवाड़ा करने से भी नहीं चूकते हैं। वह फर्जी फर्म बनाकर करोड़ों रुपये का वारा-न्यारा कर देते हैं। हाल में जौनपुर के एक व्यापारी द्वारा दूसरे के आधार कार्ड पर फर्म का रजिस्ट्रेशन कराकर करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है। केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर (सीजीएसटी) विभाग इलाहाबाद के अफसरों ने फर्म की जांच की तो यह राजफाश हुआ कि व्यापारी ने फर्जी इनवाइस के माध्यम से एक महीने में करीब आठ करोड़ का ट्रांजेक्शन किया है। अब यह छानबीन भी की जा रही है कि इस फर्जी फर्म से माल कहां भेजा गया और कहां पहुंचा।
जांच में व्यापारी की करतूत का चला पता
जांच में यह भी मालूम चला कि जौनपुर शहर में व्यापारी की ओर से जिस व्यक्ति के आधार नंबर पर फर्म का रजिस्ट्रेशन कराया गया था उस व्यक्ति को इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी। व्यापारी द्वारा रजिस्ट्रेशन में दर्ज कराए गए पते पर दुकान (फर्म) का अस्तित्व भी नहीं पाया गया। व्यापारी द्वारा कांट्रैक्ट की प्रति लगाकर किराए की दुकान ले ली गई थी। ऐसे में मकान अथवा दुकान मालिकों को भी सचेत रहने की जरूरत है। उन्हें इस बात की पूरी जानकारी रखनी चाहिए कि वह अपना मकान एवं दुकान जिसे किराए पर दे रहे हैं, वह जिस उद्देश्य से उसे लिया है, वही काम हो रहा है कि नहीं। अन्यथा जांच में दुकान अथवा मकान मालिक भी फंस सकते हैं। बता दें कि पिछले दिनों यहां भी करीब आधा दर्जन फर्जी फर्में पाई गई थीं।
होगी रिकवरी
सीजीएसटी विभाग के डिप्टी कमिश्नर धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि आइटीसी के लिए व्यापारी फर्जी फर्म बनाकर करोड़ों का कारोबार करते हैं। लेकिन, जांच में पकड़े जाने पर उसकी रिकवरी की जाती है। इस प्रकरण में भी रिकवरी की जाएगी।