...ये हैं प्रयागराज में चार अनाथ बच्चे, मां की हत्या कर पिता जेल में है, अब इन मासूमों का कोई सहारा नहीं
सुनीता चार बच्चों की मां थी। इनमें तीन पुत्र और एक पुत्री है। पति निहाल कुमार नशे का आदी था। वह बाइक मिस्त्री था लेकिन अधिकांश रुपये वह अपने नशे में उड़ा देता था। उसकी जेब से जो रुपये सुनीता निकाल पाती थी उसी से बच्चों का पेट भरती थी।
प्रयागराज, राजेंद्र यादव। हाथ छुड़का के कहां चल गइलू कइसे के जियब ये माई...। ये भोजपुरी फिल्म अनाथ का गीत है। इस गीत को सुनकर आंखों में आंसू आए या न आए, लेकिन शहर के सुलेमसराय स्थित न्याय नगर के चार बच्चों की दशा देखकर पत्थर दिल कलेजा रखने वालों की भी आंखें जरूर छलक जाएंगी। ये चार वे बच्चे हैं, जिनके सिर पर 21 दिन पहले मां का साया था तो पिता का हाथ, लेकिन एक ही झटके में सब कुछ तिनके की तरह बिखर गया। पिता ने ही बच्चों की मां की हत्या कर दी। मां स्वर्गवासी हो गई और पिता सलाखों के पीछे पहुंच गया है। अब ये मासूम एक-एक दाने को मोहताज हो चुके हैं। आसपास के लोग और न्याय विहार रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी जैसे-तैसे इनकी मदद कर रहे हैं।
जैसे-तैसे बच्चों का भरती थी पेट, मां को याद कर रोते रहते हैं मासूम
सुनीता चार बच्चों की मां थी। इनमें तीन पुत्र और एक पुत्री है। पति निहाल कुमार नशे का आदी था। वह बाइक मिस्त्री था लेकिन अधिकांश रुपये वह अपने नशे में उड़ा देता था। उसकी जेब से जो रुपये सुनीता निकाल पाती थी, उसी से बच्चों का पेट भरती थी। इसके लिए उसे पति की मार भी खानी पड़ती थी। जेब से रुपये निकालने पर निहाल उसे इतना पीटता था कि वह बेसुध हो जाती थी। तमाम प्रताड़ना को सहते हुए वह कोख से जन्मे अपने बच्चों का पेट भरने में पीछे नहीं हटती थी। यही वजह है कि आज सुनीता के न होने पर उसे याद कर उसके बच्चे रोते रहते हैं।
सबसे बड़ा पुत्र है दिव्यांग
सुनीता के चार बच्चों में सबसे बड़ा दस वर्ष का शांतनु, आठ वर्ष की सुकन्या, छह वर्ष का सत्यम व दो वर्ष का शिवम है। इसमें शांतनु एक पैर से दिव्यांग हैं। वह ठीक से चल भी नहीं पाता। कुदरत की ऐसी मार इन पर पड़ी है कि ये चाहकर भी इसे बयां नहीं कर पाते। जो भी इनके पास आता है, ये मासूम आंखें उसे सिर्फ मददगार ही समझती हैं।
किस तरह हुई थी घटना
सात नवंबर की सुबह। अचानक आसपास के लोगों को निहाल के घर से चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनाई पड़ती है। लोग मौके पर पहुंचते हैं तो कमरे में चारों बच्चे जमीन पर गिरी मां को पकड़कर रोते रहते हैं। वहीं बगल में निहाल डंडा लेकर खड़ा रहता है। लोग उससे कुछ पूछते इससे पहले वह धक्का देते हुए भाग निकलता है। बच्चों को हटाकर लोग सुनीता को देखते हैं तो वह खून से लथपथ होती है और उसकी सांसें थम चुकी होती हैं। जानकारी पाकर पुलिस मौके पर पहुंचती है और घेराबंदी कर कुछ ही देर में हत्यारोपित निहाल को गिरफ्तार कर लेती है। पूछताछ में बताता है कि आर्थिक तंगी के चलते सुनीता उससे रोज विवाद करती थी, जिस कारण उसने उसे मौत के घाट उतार दिया।