Move to Jagran APP

पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्र भ्रष्टाचार के आरोप से बरी, प्रयागराज की MP MLA Court का फैसला

अदालत ने कहा कि पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है जिससे आरोपित को दोष सिद्ध करार दिया जा सके। अभियोजन पक्ष अपना मामला संदेह से परे साबित करने में असफल रहा है। भदोही से बसपा के टिकट पर 2007 में रंगनाथ मिश्र विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Wed, 29 Sep 2021 09:12 PM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 09:12 PM (IST)
पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्र भ्रष्टाचार के आरोप से बरी, प्रयागराज की MP MLA Court का फैसला
पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्र को भ्रष्टाचार के मामले में एमपी एमएलए की विशेष अदालत ने दोषमुक्त कर दिया

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्र को भ्रष्टाचार के मामले में एमपी एमएलए की विशेष अदालत ने दोषमुक्त कर दिया है। रंगनाथ के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा 26 अक्टूबर 2012 को भदोही में दर्ज हुआ था। विजिलेंस से जांच के बाद यह केस लिखाया था। आरोप है कि मंत्री रहते रंगनाथ ने आय से अधिक संपत्ति बनाई थी। अदालत ने कहा कि सजा सुनाने लायक साक्ष्य नहीं हैं।

loksabha election banner

साक्ष्यों का अवलोकन कर दोषमुक्त करार दिया कोर्ट ने

विशेष अदालत के न्यायाधीश आलोक कुमार श्रीवास्तव ने रंगनाथ मिश्र के अधिवक्ता उमाशंकर तिवारी एवं अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि, राजेश कुमार गुप्ता के तर्कों को सुनने व पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद यूपी सरकार के मंत्री रहे रंगनाथ मिश्र को दोषमुक्त करार दिया।

ऐसा कोई साक्ष्य नहीं जिससे दोष सिद्ध करार दिया जा  सके

अदालत ने कहा कि पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है, जिससे आरोपित को दोष सिद्ध करार दिया जा सके। अभियोजन पक्ष अपना मामला संदेह से परे साबित करने में असफल रहा है। भदोही से बसपा के टिकट पर 2007 में रंगनाथ मिश्र विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे।

मुकदमा लिखने का दिया कोर्ट ने आदेश

प्रयागराज : अंत्योदय कार्डधारक को सरकारी दाम पर गेहूं, चावल न देने के मामले में अदालत ने कोटेदार मजीदुन निशा और करछना में तैनात आपूर्ति निरीक्षक अमित चौधरी पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। थाना घूरपुर के अंतर्गत चक घनश्याम की रहने वाली धर्मा ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में अर्जी देकर आरोप लगाया कि उचित दर के विक्रेता ने उसे तीन माह का राशन नहीं दिया। उसके कार्ड पर आया राशन भी वापस शासन के पास भेज दिया। पूछने पर गाली देते हुए जान से मारने की धमकी दी।

अपने कर्तव्य का नहीं किया पालन

इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकारी राशन विक्रेता और आपूर्ति निरीक्षक ने कर्तव्यों के विपरीत कृत्य किया और अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया। ऐसी स्थिति में न्यायालय में थानाध्यक्ष घूरपुर को मुकदमा पंजीकृत कर विवेचना करने का आदेश दिया


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.