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शिष्य को खोजकर गुरु निखारेंगे लोकनृत्य और गायन की प्रतिभा

युवाओं में लोक गायन और नृत्य की प्रतिभा को निखारा जाएगा। एनसीजेडसीसी युवाओं को लोक संस्कृति से जोड़ने के लिए यह प्रयास करेगी।

By Edited By: Published: Tue, 14 May 2019 07:10 AM (IST)Updated: Tue, 14 May 2019 10:21 AM (IST)
शिष्य को खोजकर गुरु निखारेंगे लोकनृत्य और गायन की प्रतिभा
शिष्य को खोजकर गुरु निखारेंगे लोकनृत्य और गायन की प्रतिभा
प्रयागराज, जेएनएन। पाश्चात्य संस्कृति व सिनेमा के प्रति युवाओं की रुचि बढ़ने से बिरहा, चैती, झूमर, ढेड़िया जैसे लोकगीत व नृत्य का अस्तित्व खत्म न हो जाए उसके मद्देनजर जिद्दोजहद चल रही है। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र गुरु-शिष्य परंपरा के तहत गांव-गिरांव में छिपी प्रतिभाओं को निखारने की मुहिम चलाएगा। हर विधा के पुराने कलाकार युवाओं से संपर्क करके उन्हें लोकनृत्य व गायन का मर्म सिखाएंगे।
 
युवाओं में लोक कलाओं के प्रति कम हुआ रूझान
पहले की अपेक्षा युवाओं में लोक गायन व नृत्य के प्रति रूझान कम हो रहा है। शहरी के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के युवा भी इस विधा से दूर है। युवा लोकनृत्य व गायन से जुड़ें इसके लिए केंद्र बुजुर्ग कलाकारों से संपर्क स्थापित करके युवाओं को प्रशिक्षित करने में लगाएगा। इससे उनके अंदर छिपी प्रतिभा निखर सकेगी।

बेतर प्रस्तुति के लिए कलाकार प्रोत्साहित होंगे
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक इंद्रजीत ग्रोवर ने बताया कि लोक गायन व नृत्य हमारी संस्कृति का आधार है। इसे गुरु-शिष्य परंपरा के तहत बचाया और बढ़ाया जाएगा। कलाकार बेहतर प्रस्तुति दें, इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा। गुरु स्वयं करेंगे चुनाव: गुरु-शिष्य परंपरा के तहत उन युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा, जिन्होंने उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में आवेदन किया है। साथ ही पुराने कलाकार स्वयं भी किसी युवा को उसकी रुचि के अनुरूप प्रशिक्षित कर सकते हैं। वह जिसे प्रशिक्षित कर रहे हैं उसका ब्योरा केंद्र को देना होगा।

हुनर दिखाने का मिलेगा मौका
गुरु-शिष्य परंपरा के तहत प्रशिक्षित युवाओं को अपना हुनर दिखाने के लिए मंच भी मिलेगा। उत्तर मध्य क्षेत्र उन्हें नृत्य व गायन प्रस्तुत करने का मौका देकर आगे बढ़ाएगा।

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