Ramadan 2020 : पहला रोजा पर अकीदतमंद घरों में ही परिवार संग कर रहे खुदा की इबादत Prayagraj News
कोरोना वायरस की महामारी के चलते लॉकडाउन तीन मई तक घोषित है। इस अवधि में माहे रमजान का भी कुछ हिस्सा है। ऐसे में इंसानियत के लिए प्रमुख बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
प्रयागराज, जेएनएन। रमजान का मुबारक महीना शुक्रवार शाम को चांद दिखने के साथ शुरू हो गया। शनिवार यानी आज पहला रोजा है। चौक जामा मस्जिद से शहर काजी शफीक अहमद शरीफी और पूर्व शहर काजी सैयद कारी मकबूल हुसैन की ओर से उनके बेटे सैयद रईस अख्तर की मौजूदगी में चांद दिखने की तस्दीक की गई। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के कारण लोग अपने घरों में ही रोजा रखकर खुदा की इबादत कर रहे हैं।
शारीरिक दूरी बनाते हुए मनाएं रमजान : कैबिनेट मंत्री नंदी
उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी ने रमजान महीने की शुरुआत होने पर प्रदेश के मुसलमान भाइयों को मुबारकबाद दी है। उन्होंने कहा कि लोग शारीरिक दूरी बनाते हुए रमजान मनाएं। कहा कि कोरोना वायरस के खतरे से दुनिया की आबादी को बचाने के लिए दुआ करें।
एक-दूसरे को फोन पर व घर में स्वजन को मुबारकबाद दी
चांद का दीदार होने और सोशल मीडिया पर यह जानकारी वायरल करते ही मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में खुशियां छा गईं। लोगों ने एक दूसरे को फोन करके और घर में स्वजन को मुबारकबाद दी। दिन में राशन की दुकानें खुलने पर जरूरी सामग्री की खरीदारी हुई।
रमजान रहमतों और बरकतों का महीना है
रमजान माह में पूरे 30 दिन तक रोजा रख मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह की इबादत करते हैं। धर्मगुरु कहते हैं कि यह रहमतों और बरकतों का महीना है। इसके लिए पूरे 11 महीने तक इंतजार करना पड़ता है। इंतजार की वह घडिय़ां शुक्रवार शाम उस वक्त खत्म हो गईं जब आसमान में चांद दिखा और चौक जामा मस्जिद से इसकी तस्दीक हुई। सभी ने एक दूसरे को मुबारकबाद दी। रमजान का पहला रोजा शनिवार से रखा जाएगा। रमजान का चांद दिखने के बाद लोगों ने घरों में तरावीह पढ़ी। मस्जिदों में भी जिला प्रशासन की अनुमति से मौजूद दो या तीन लोगों ने तरावीह पढ़ी।
रमजान पर शहर काजी का संदेश
प्रयागराज के काजी-ए-शहर मुफ्ती शफीक अहमद शरीफी कहते हैं कि रमजानुल मुबारक रहमतों और बरकतों का महीना है। यह सब्र और इबादत का महीना है। इस बार कोरोना वायरस की महामारी के चलते लॉकडाउन तीन मई तक घोषित है। इस अवधि में माहे रमजान का भी कुछ हिस्सा है। ऐसे में इंसानियत के लिए कुछ प्रमुख बातों का ध्यान रखना जरूरी है। हुकूमत (सरकार) की तरफ से जितने लोगों को मस्जिद में नमाज पढऩे की इजाजत हो (इमाम, मोअज्जिन और मस्जिद में काम करने वाले) उतने ही लोग पांच वक्त की नमाज और तरावीह अदा करें। बाकी लोग अपने घरों में अलग-अलग पढ़े।
शहर काजी ने कहा-मस्जिदों में भीड़ लगाकर अपने को खतरे में न डालें
प्रयागराज के काजी-ए-शहर मुफ्ती शफीक अहमद शरीफी ने कहा कि लोग मस्जिदों में भीड़ लगाकर अपने को खतरे में न डालें। तरावीह की नमाज जमात से पढऩा सुन्नत है। यानी अगर चंद लोग मस्जिद में तरावीह की नमाज अदा कर लें तब भी यह सुन्नत अदा हो जाएगी। बाकी लोग अपने घरों में अगर मुमकिन हो तो पूरा कुरान या सुरह तरावीह अकेले-अकेले पढ़ें। यह जरूर ख्याल रखें कि जमात से पढऩे की सूरत में उतने ही लोग रहें जितने को जिला प्रशासन से इजाजत मिली हो। शहर की एक मस्जिद में मौजूद दो या तीन लोग भी यदि पांचों वक्त की नमाज, तरावीह सहित अन्य रस्में अदा कर लें तो सभी लोग जिम्मे से बरी होंगे। नहीं तो सब गुनाहगार होंगे। इसलिए लॉक डाउन तीन मई से भी आगे बढऩे की स्थिति में एक मस्जिद में एक या दो लोग पांचों वक्त की नमाज और तरावीह पढ़ लें।