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लागत कम और मुनाफा ज्‍यादा, खीरे की खेती कर कौशांबी में किसान खुशहाल

खीरा की खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा है। फिलहाल तो विभाग के पास खीरे की खेती को लेकर कोई अनुदान नहीं है। भविष्य में सरकार कोई फैसला करती है तो किसानों की मदद होगी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 08:29 PM (IST)Updated: Sat, 22 Aug 2020 08:29 PM (IST)
लागत कम और मुनाफा ज्‍यादा, खीरे की खेती कर कौशांबी में किसान खुशहाल
लागत कम और मुनाफा ज्‍यादा, खीरे की खेती कर कौशांबी में किसान खुशहाल

प्रयागराज, जेएनएन। परंपरिक खेती किसानों के लिए अब फायदे का सौदा नहीं रही। ऐसे में किसान अब खेती में बदलाव ला रहे हैं। चायल के इछना गांव के किसानों ने गेहूं व धान की फसल की बजाय अब खीरा की खेती करना शुरू कर दिया है। किसान बता रहे हैैं कि खीरा का उत्पादन उनके घर परिवार में खुशहाली ला रहा है।

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 इछना गांव के 20 से अधिक किसानों ने कुछ साल से खीरा की खेती शुरू कर दी है। गर्मी व बारिश दोनों मौसम में होने वाली इस फसल का उनको बेहतर लाभ मिल रहा है। करीब एक हजार से 1200 रुपये प्रति कुंतल की दर से खीरा बेचकर किसान खुशहाल हो रहे हैं। किसानों की मानें तो वह प्रतिदिन मिलकर 40-50 कुंतल खीरा की बिक्री कर ले रहे हैैं। वह स्थानीय बाजार की अपेक्षा आसपास के शहरों की बड़ी मंडी में बेचना ज्यादा पसंद करते हैं।

खीरे की खेती पर अनुदान मिले तो बने बात

किसानों ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन में थोड़ी समस्या हुई थी, लेकिन अब बेहतर कार्य हो रहा है। हर किसान को प्रतिदिन हजार से डेढ़ हजार तक की आमदनी होती है। जिला उद्यान अधिकारी सुरेंद्र राम भाष्कर ने बताया कि खीरा की खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा है। फिलहाल तो विभाग के पास खीरे की खेती को लेकर कोई अनुदान नहीं है। भविष्य में सरकार कोई फैसला करती है तो किसानों की मदद होगी। फिलहाल किसानों की मांग शासन तक भेज दी जाएगी।

दो प्रजातियों की होती है खेती

किसान खीरे की दो प्रजातियों का उत्पादन करते हैं। वह राजधानी व हाईब्रिड का रोहानी खीरा तैयार कर रहे हैं। किसान अजय व जयचंद ने बताया कि राजधानी खीरा गहरे हरे रंग व रोहानी हल्के हरे रंग का होता है। राजधानी से रोहानी खीरा पतला व लंबा होता है। साथ ही यह देखने में राजधानी से सुंदर होता है। ऐसे में लोग रोहानी को ज्यादा पसंद करते हैं। जयचंद्र ने बताया कि उद्यान विभाग भिंडी व अन्य खेती के लिए बीज समेत अन्य सुविधा मुहैया कराता है। इसी प्रकार का अनुदान खीरा के लिए मिले तो थोड़ी लागत में कमी हो सकती है।

सूरज ने बताया कि  खीरे की फसल बेहतर रहती है, लेकिन इन दिनों नीलगाय परेशान कर रही है। रखवाली में थोड़ा चूक हुई तो फसल नष्ट होना तय है। इनसे बचाव का कोई उपाय निकाला जाना चाहिए।


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