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मासूम की मौत के मामले में जिलाधिकारी ने गठित की जांच कमेटी, प्रयागराज के अस्पताल में हुआ था हंगामा

स्वजन ने इलाज में लापरवाही का गंभीर आरोप लगाते हुए आक्रोश जताया। इससे पहले प्रयागराज के एक अस्पताल द्वारा इलाज से इन्कार करने पर स्वजन बच्ची को वापस यूनाइटेड मेडिसिटी ले गए थे लेकिन आरोप है कि वहां अस्पताल कर्मियों ने गेट बंद कर लिया।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 10:58 PM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 12:03 PM (IST)
मासूम की मौत के मामले में जिलाधिकारी ने गठित की जांच कमेटी, प्रयागराज के अस्पताल में हुआ था हंगामा
मासूम बच्‍ची के पिता से बात करते सीओ चायल श्यामकांत।

प्रयागराज, जेएनएन। यूपी के प्रयागराज जनपद में मानवता को तार-तार करने वाला केस हुआ। अस्‍पताल की लापरवाही के कारण हास्पिटल के गेट पर ही मासूम बच्‍ची की तड़पकर मौत हो गई थी। लापरवाही यह थी कि अस्‍पताल प्रशासन ने उस तीन वर्षीय मासूम को अधूरे इलाज के दौरान बाहर निकाल दिया था। इस मामले में जिलाधिकारी ने जांच कमेटी गठित कर दी है।

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जिले में रावतपुर स्थित यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल से अधूरे इलाज के दौरान निकाली गई तीन वर्षीय मासूम बच्ची की शुक्रवार को अस्पताल के गेट पर ही तड़पकर मौत हो गई। स्वजन ने इलाज में लापरवाही का गंभीर आरोप लगाते हुए आक्रोश जताया। इससे पहले प्रयागराज के एक अस्पताल द्वारा इलाज से इन्कार करने पर स्वजन बच्ची को वापस यूनाइटेड मेडिसिटी ले गए थे लेकिन आरोप है कि वहां अस्पताल कर्मियों ने गेट बंद कर लिया। देर रात इस मामले में प्रयागराज के जिलाधिकारी ने जांच कमेटी गठित कर दी है। एडीएम सिटी और सीएमओ इस मामले की जांच करेंगे।

पेट में हुआ था दर्द : करेली थानांतर्गत करेंहदा निवासी मुकेश मिश्र की बेटी खुशी मिश्रा के पेट में 15 फरवरी को दर्द हुआ। वह उसे यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल रावतपुर ले गया। डाक्टरों ने भर्ती करते हुए 10 दिन में ठीक होने की बात कही। आंत में इन्फेक्शन बताया और ऑपरेशन की बात कही। आपरेशन हुआ लेकिन चार-पांच दिनों बाद टांके वाले स्थान पर पस आ गया। फिर डाक्टरों ने उसी स्थान पर दूसरा ऑपरेशन कर दिया। स्वजन का कहना है कि  तीन मार्च को अस्पताल प्रशासन ने खुशी की हालत गंभीर बताते हुए उसे चिल्ड्रेन अस्पताल ले जाने की सलाह दी और रेफर करते हुए अपने यहां से डिस्चार्ज कर दिया।

दो दिन तक घरवाले इधर-उधर भटकते रहे: स्वजन दो दिनों तक खुशी को लेकर इधर-उधर भटकते रहे। शुक्रवार को उसे लेकर फिर यूनाइटेड मेडिसिटी पहुंचे। मुकेश तो बेटी की मौत के गम में बीमार हो गया और बात करने की स्थिति में नहीं रहा लेकिन उसके चचेरे भाई सूरज मिश्रा ने बताया कि डाक्टरों ने गेट बंद कर लिया था। अंतत: बच्ची का वहीं दम निकल गया। स्वजन व अन्य ग्रामीण वहीं हंगामा करने लगे। सूचना मिलने पर पिपरी के सीओ श्यामकांत कई थानों की पुलिस लेकर पहुंच गए। लोगों को शांत कराया गया। सीओ का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मौत का कारण स्पष्ट होगा।

बेटी को बचाने की खातिर बेच दिया खेत: मुकेश के चचेरे भाई सूरज मिश्रा ने दैनिक जागरण को बताया कि बेटी के इलाज के लिए पैसे नहीं थे, मुकेश ने अपने हिस्से का दो बिस्वा खेत बेच दिया। रिश्तेदारों और अन्य जान पहचान के लोगों से उधार पैसे लिए लेकिन बेटी की जान नहीं बचा सका।

अस्पताल पर लगाए जा रहे हैं मिथ्या आरोप: यूनाइटेड मेडिसिटी के निदेशक प्रमोद कुमार का कहना है कि अस्पताल पर लगे आरोप गलत हैं। बच्ची के माता पिता से दो लाख रुपये लिए जाने का आरोप भी निराधार है। बच्ची गंभीर हालत में लायी गई थी, उसका आपरेशन किया जाना जरूरी था। माता पिता की सहमति से 24 फरवरी को आपरेशन किया गया। आगे उपचार के लिए तीन मार्च को बच्ची को एसआरएन के लिए रेफर किया गया लेकिन परिजन उसे लेकर चिल्ड्रेन अस्पताल पहुंच गए। निदेशक ने दावा किया कि चिल्ड्रेन अस्पताल में बच्ची की मौत हुई। कहा कि बच्ची के इलाज का खर्च 1.25  लाख रुपये हुए थे परिजनों से महज छह हजार रुपये लिए गए थे।

मामले की कराई जाएगी जांच : सीएमओ डा. पीएन चतुर्वेदी ने बताया कि मामला संज्ञान में है। जो आरोप लगाए गए हैं उसकी जांच कराई जाएगी। दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।


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