सोलर उपकरण से बिजली की खपत कम आइए जानें कहां लगेंगी इसकी फैक्ट्री
इलाहाबाद जिले के चार ब्लाकों में बिजली की खपत कम करने के लिए शासन स्तर से सोलर पैनल फैक्ट्री लगाने की योजना है। इन ब्लाकों में सोलर शॉप भी खोला जाएगा।
जासं, इलाहाबाद: बिजली की खपत कम करने के लिए शासन स्तर से सोलर उपकरणों के इस्तेमाल पर विशेष जोर दिया जा रहा है। जिले के चार ब्लॉकों में सोलर पैनल लैंप बनाने की योजना चलाई जा रही है। भविष्य में इन ब्लॉकों में सोलर शॉप खोलने और सोलर पैनल बनाने की फैक्ट्रियां लगाने की भी योजना है। इसकी शुरुआत कोरांव ब्लॉक से हो सकती है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत बहरिया, कोरांव, शंकरगढ़ और फूलपुर ब्लॉकों में सोलर लैंप योजना चल रही है। इसमें तकनीकी सपोर्ट आइटी मुंबई दे रही है। सोलर लैंपों को बनाने में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की मदद ली जा रही है। इसके लिए हर ब्लॉकों में दो सेंटर चलाए जा रहे हैं, जहां महिलाएं करीब दर्जन भर उपकरणों को जोड़कर सोलर लैंप बनाती हैं। ढाई सौ वॉट के सोलर लैंप का बैकअप लगभग सात-आठ घंटे का होता है। बाजार में इसका वास्तविक रेट 700 रुपये है, लेकिन स्कूली बच्चों को इसे 100 रुपये में दिया जा रहा है। इसकी एक साल की गारंटी भी है। कोरांव में रिपेय¨रग सेंटर भी बनाया गया है।
सोलर से संबंधित अन्य उपकरणों सोलर पंखे, सोलर टीवी, सोलर लाइटें, सोलर पैनल आदि की बिक्री के लिए इन ब्लॉकों में सोलर शॉप भी खोलने की तैयारी है। प्रतापपुर में 60 महिलाओं को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। ट्रेनिंग के बाद आइटी मुंबई के एक्सपर्ट शॉप खोलने के लिए बजट तैयार करेंगे। इसके अगले चरण में सोलर पैनल फैक्ट्रियां भी लगाने की योजना है। 25-30 लैंप बनाती हैं महिलाएं :
प्रत्येक महिलाएं हर रोज 25 से 30 सोलर लैंप बनाती हैं। एक सोलर लैंप की बिक्री पर बनाने वाली महिलाओं को 12 रुपये और बेचने वाली महिलाओं को 17 रुपये मिलते हैं। जिन गांवों में बिजली कम रहती है। वहां स्कूली बच्चे सोलर लैंप खरीद रहे हैं। उन्हें 100 रुपये में सोलर लैंप दिए जा रहे हैं। सोलर पैनल फैक्ट्री पहले कोरांव में लगाने की योजना है।
-अजीत कुमार सिंह, उपायुक्त स्वत: रोजगार।