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कुलपति के खिलाफ जांच से उम्मीदें कम आशंकाएं ज्यादा

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतनलाल हांगलू के खिलाफ जांच से उम्मीदें तो कम लेकिन आशंकाएं अधिक हैं। इविवि की जांच कमेटी पर छात्र संगठनों ने सवाल उठाए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 07:01 AM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 07:01 AM (IST)
कुलपति के खिलाफ जांच से उम्मीदें कम आशंकाएं ज्यादा
कुलपति के खिलाफ जांच से उम्मीदें कम आशंकाएं ज्यादा

अमरीश शुक्ल, इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतनलाल हांगलू से महिला के आडियो व वाट्सएप चैट प्रकरण में प्रभारी कुलपति द्वारा बनाई गई जांच कमेटी सवालों के घेरे में आ गई है। छात्रसंघ पदाधिकारियों ने जांच कमेटी द्वारा कुलपति के दबाव में जांच के नाम पर लीपापोती करने की संभावना जताते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाने की मांग की है। इसके साथ ही इविवि की जांच कमेटी का बहिष्कार कर दिया है।

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मामले में छात्रसंघ अध्यक्ष अवनीश यादव, पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह, रोहित मिश्रा, दिनेश यादव, छात्रनेता अविनाश दुबे की शिकायत के आधार पर एमएचआरडी ने राज्य सरकार व विश्वविद्यालय से जांच रिपोर्ट तलब की थी। गुरुवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. केएस मिश्र ने अपने स्तर पर कुलपति प्रो. हांगलू के खिलाफ जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अरुण टंडन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया। इसमें असिस्टेंट रजिस्ट्रार देवेश गोस्वामी भी हैं। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह, रोहित मिश्र का कहना है कि कुलपति के मातहतों द्वारा जाच कमेटी का एलान करना मामले से ध्यान हटाने का प्रयास मात्र है। इतना ही नहीं, कमेटी में किसी महिला न रखा जाना भी जांच की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है, वह भी तब जब जांच महिला से कथित अंतरंग बातचीत होने से जुड़ी है। छात्रनेताओं का यह भी आरोप है कि जो लोग कुलपति के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं वे उनकी जाच नहीं कर सकते हैं, न ही उनकी जाच करा सकते हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा मांगी गई रिपोर्ट पर भी सवाल उठाते हुए पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित मिश्र ने कहा कि जब विश्वविद्यालय को खुद अपने कुलपति के बारे में जांच रिपोर्ट देनी है तो जाहिर है कि जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती है। लिहाजा कुलपति के खिलाफ अभी तक जो भी जांच की स्थिति है उससे न्याय की उम्मीदें कम आशंकाएं ज्यादा हैं।


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