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जवाहर पंडित हत्याकांड : पुलिस ने कोर्ट में साक्ष्य नहीं पेश किया तो अधिकारियों को मिली थी फटकार Prayagraj News

जवाहर पंडित हत्याकांड मामले में पुलिस कोर्ट में साक्ष्‍य नहीं पेश कर सकी थी। पुलिस ने कहा था कि थाने में कारतूस के खोखे चूहे खा गए थे और खून लगा कपड़ा दीमक चट कर गए थे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 12:16 PM (IST)Updated: Sat, 02 Nov 2019 07:27 AM (IST)
जवाहर पंडित हत्याकांड : पुलिस ने कोर्ट में साक्ष्य नहीं पेश किया तो अधिकारियों को मिली थी फटकार  Prayagraj News
जवाहर पंडित हत्याकांड : पुलिस ने कोर्ट में साक्ष्य नहीं पेश किया तो अधिकारियों को मिली थी फटकार Prayagraj News

प्रयागराज, [ताराचंद्र गुप्ता]। विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड के दौरान घटना स्थल से पुलिस ने कारतूस के जितने खोखे बरामद किए थे, उसे सिविल लाइंस थाने के मालखाने में चूहे खा गए थे। इतना ही नहीं, हत्याकांड के महत्वपूर्ण साक्ष्य खून लगे कपड़ों को भी दीमक चट कर गए थे। जी हां यह जानकर आप चौंक सकते हैं, लेकिन सच तो यही है। सिविल लाइंस पुलिस ने मुकदमे की सुनवाई के दौरान ऐसी ही रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी, जिसमें साक्ष्य को नष्ट करने के लिए चूहों व दीमक को जिम्मेदार ठहराया गया था।

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इस रिपोर्ट पर कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को लगाई थी फटकार

सिविल लाइंस पुलिस की इस रिपोर्ट पर कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई थी। इसके बाद तत्कालीन डीआइजी जेके शाही ने चोरी का मुकदमा दर्ज कराने की बात कहते हुए जांच करने का निर्देश दिया था। हालांकि उसकी विवेचना पूरी हुई या नहीं, इसकी जानकारी भी अदालत को उपलब्ध नहीं कराई गई है। दरअसल, इस चर्चित केस के मुकदमे में बचाव और अभियोजन पक्ष के साथ ही पुलिस की गवाही हुई थी। विवेचक ने अपने बयान में पहले कहा था कि घटना से जुड़े कई साक्ष्य मालखाने में रखे गए हैं, लेकिन कोर्ट में उसे पेश नहीं किया जा सका। इस पर अदालत ने साक्ष्य के संबंध में आख्या मांगी तो कहा गया कि खोखे चूहे खा गए और कपड़े दीमक खा गए हैं।

बरामद नहीं हुई एके-47

इस सनसनीखेज हत्याकांड में पहली बार अत्याधुनिक हथियार एके-47 का इस्तेमाल हुआ था। हालांकि वारदात के 23 साल बाद भी पुलिस हत्या में प्रयुक्त एक भी असलहा नहीं बरामद कर सकी। मामले की विवेचना पुलिस से लेकर सीबीसीआइडी तक से कराई गई, लेकिन किसी भी स्तर पर एके-47, रायफल बरामद नहीं हो सकी, जिसके चलते मुकदमा कमजोर हो रहा था।

सीबीआइ जांच की हुई थी मांग

हत्याकांड के आरोपित करवरिया बंधुओं की ओर से इस मुकदमे की जांच सीबीआइ से कराए जाने की मांग भी की गई थी। नामजद अभियुक्त पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया ने कुछ साल पहले जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की थी। साथ ही मामले की जांच सीबीआइ से कराने के लिए सरकार से अनुरोध किया था।


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