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गंगा-यमुना के बाढ़ में सब कुछ तबाह, अब कर्ज के चक्रव्यूह में फंसे Prayagraj News

भले ही गंगा और यमुना नदियों का पानी मोहल्‍लों से निकल गया है लेकिन प्रभावित लोगों के घरों में रखा सब सामान नष्‍ट हो गया है। ऐसे में उन्‍हें कर्ज लेकर व्‍यवस्‍था ठीक करनी पड़ रही है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 27 Sep 2019 08:42 AM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 08:42 AM (IST)
गंगा-यमुना के बाढ़ में सब कुछ तबाह, अब कर्ज के चक्रव्यूह में फंसे Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। गंगा और यमुना नदियों का पानी कम होने लगा है। वहीं निचले इलाकों में अब तबाही के निशान नजर आने लगे हैं। तटीय क्षेत्रों की बस्तियों में जिंदगी फिर से पटरी पर आने लगी है लेकिन बाढ़ पीड़ितों को इसके लिए खासी कीमत चुकानी पड़ रही है।

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अब गहने बेचकर या गिरवी रख पैसों का करना पड़ रहा इंतजाम

जिन लोगों का सबकुछ तबाह हो चुका है, वह अब गहने आदि बेचकर या गिरवी रख पैसों के इंतजाम में जुटे हैं। जिनके पास बेचने या गिरवी रखने को कुछ नहीं है वे कर्ज लेने को मजबूर हैं। बाढ़ की त्रासदी ने कई घरों को तबाह कर दिया है। लोगों की गृहस्थी बर्बाद हो चुकी है। अनुज और देवकी तो बानगी मात्र भर हैं।

फिर से गृहस्थी बसाने की जिद्दोजहद हो रही

बाढ़ग्रस्त इलाकों में तबाह हुए तमाम लोगों की यही कहानी है। किसी तरह वे फिर से गृहस्थी बसाने की जिद्दोजहद में जुटे हैं। ज्यादातर लोगों के घर में गंदगी जम गई थी। अमूमन आठ दिन बाद घर पहुंचे लोगों ने सबसे पहले सफाई की। ज्यादातर लोगों ने खुद ही सफाई की जबकि कुछ लोगों ने मजदूरों से घर को साफ कराया। लगभग एक हफ्ते से ज्यादा दिन तक घरों में पानी भरे होने से सब कुछ नष्ट हो गया। यहां तक कि खिड़की-दरवाजे तक उखड़ गए।

गृहस्थी का सामान खरीदना पड़ रहा

बिजली की वायरिंग से लेकर मीटर आदि भी ध्वस्त हो गए। किचन के सामान तो पूरी तरह से नष्ट हो गए। कूलर, पंखा, फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि भी खराब हो गए। बाढ़ पीड़ितों की हालत यह हो गई है कि घर में घुसने पर उन्हें फिर से गृहस्थी का सामान खरीदना पड़ रहा है। जब बाढ़ आई थी तो वे किसी तरह जान बचाकर निकले थे। आवश्यक सामान ही साथ ले जा सके थे। अब पैसे न होने पर लोग कर्ज लेने को मजबूर हो रहे हैं।

बच्चों को भूखा नहीं देख सका बच्चन, बेच दी नई बाइक

मऊ सरैया के बच्चन यादव ट्रैक्टर चलाते हैं। कौशांबी के गांवों से ट्रैक्टर से मिट्टी लाकर शहर में बेचते हैं। मूलरूप से कौशांबी के सरायअकिल के रहने वाले बच्चन यहां किराए के मकान में रहते हैं। बेटी कविता सात में, बेटा छवि पांच व रतन कक्षा दो में पढ़ता है। बाढ़ आने पर वह घर छोड़कर गांव चले गए थे। लौटे थे तो पूरे दिन कमरे की सफाई की। शाम को खाने को कुछ नहीं था। बच्चों की भूख देख उन्हें रहा नहीं गया। छह माह पहले ही खरीदी बाइक को उन्होंने बेच दी।


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