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कोरोना के थपेड़े भी नहीं रोक सके सृजन की लहर, प्रयागराज में कई रचनाकारों ने जारी रखा लेखन

तमाम लोगों ने आपदा में खुद को संयमित रखा और रचना धर्मिता बनाए रखने की कोशिश की। कोरोना कर्फ्यू में घर से नहीं निकलने की बंदिश को अवसर के रूप में लिया। किसी ने कविता लिखी तो किसी ने कहानी या फिर गद्य की अन्य विधाओं में अपने विचार पिरोए।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 20 May 2021 03:19 PM (IST)Updated: Thu, 20 May 2021 03:19 PM (IST)
कोरोना के थपेड़े भी नहीं रोक सके सृजन की लहर, प्रयागराज में कई रचनाकारों ने जारी रखा लेखन
महामारी के दौर में सब कुछ ठहर सा गया है, कई लोगों ने खुद को संयमित रख जारी रखा लेखन

प्रयागराज, अमलेंदु त्रिपाठी। महामारी के दौर में सभी चीजें ठहर गईं। तमाम लोग संक्रमण का भी शिकार हुए। इसमें यदि नहीं रुकी तो सृजनात्मकता। शहर के तमाम लोगों ने इस आपदा में खुद को संयमित रखा और रचना धर्मिता को बनाए रखने की कोशिश की। कोरोना कर्फ्यू में घर से नहीं निकलने की बंदिश को अवसर के रूप में लिया। किसी ने कविता लिखी तो किसी ने कहानी या फिर गद्य की अन्य विधाओं में अपने विचार पिरोए। कई ऐसे लोग भी है जो स्वयं या उनके परिवार के लोग संक्रमण की जद में आए लेकिन रचना धर्मिता बनाए रखे। वह दूसरों के लिए भी प्रेरणा स्रोत हैं।

कोरोना काल में पूरी की किताब

केपी गर्ल्स इंटर कॉलेज की शिक्षक स्नेह सुधा ने इस बंदिश से भरे समय का खूब सदुपयोग किया। उन्होंने अपनी पुस्तक सैधव सभ्यता से संविधान तक व काव्य संग्रह स्नेह सृजन को पूरा किया। इसके अतिरिक्त प्रयागराज को लेकर शताब्दी गीत- शिक्षा का अलख जगाया है, मेरा देश आज मुस्कुराया है..। सहित एक दर्जन से अधिक कविताएं भी लिखी। दुर्भाग्य यह कि परिवार के कई सदस्य कोरोना संक्रमित हुए और दो लोगों की मौत भी हुई। बावजूद इसके संयम और रचनाधॢमता को बनाए रखा।

पूरा किया यात्रावृत्तांत
महामारी में घर से निकलने की बंदिश लगी तो सुलेम सराय निवासी डॉ. सोनाली घोष ने भी अपनी लेखनी को खोल दिया। कहती हैं करीब 10 साल पहले अरुणाचल और लद्दाख की यात्रा की थी। तभी से यात्रा वृत्तांत लिखने की इच्छा थी पर लिख नहीं पा रहे थे। लॉकडाउन में यह कार्य पूरा कर लिया। इसके अतिरिक्त तीन लघु कथा, करीब एक दर्जन कविताएं और कुछ लेख भी लिखे।

छोटी छोटी कविताएं लिख किया प्रेरित
सिविल लाइंस निवासी निमिशा चौधरी एक संस्था की ओर से निश्शुल्क चलने वाली इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स की कक्षाएं लेती हैं। इन दिनों व छोटी छोटी कविताएं लिखकर विद्यार्थियों को प्रेरित कर रही हैं और खुद की रचनात्मकता को भी आयाम दे रही हैं।

कोरोनाकाल को संस्करण में पिरोया
बादशाही मंडी निवासी मोनी कश्यप एमए की छात्रा हैं। उन्होंने इस लॉकडाउन के दौर को अपने संस्मरण के जरिए संजोने का प्रयास किया। कहती हैं कि दो कहानियां इस बीच लिखी। इसके अतिरिक्त तमाम घटनाएं व अनुभूतियों को संस्मरण के रूप में संजोया है। इसे पढ़कर वर्तमान की मुश्किलों को समझने के साथ ही जीवन को पटरी पर लाने के प्रयास की भी पटकथा लिखी है। यदि सामान्य दिन होते तो शायद यह लेखन संभव न होता लेकिन लॉकडाउन में यह अवसर भी हाथ आ गया।

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