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Covid-19 से ठीक होने के बाद दिल के दौरे का रहता है खतरा, सावधान रहें और डॉक्‍टर की मानें सलाह

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज से संबंद्ध एक चिकित्सा शिक्षा संस्थान के विभागाध्यक्ष अप्रैल माह में कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। करीब दो सप्ताह में स्वस्थ हुए। शनिवार को वे अपने कार्यालय में बैठे थे तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 02:50 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 02:50 PM (IST)
Covid-19 से ठीक होने के बाद दिल के दौरे का रहता है खतरा, सावधान रहें और डॉक्‍टर की मानें सलाह
कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद पांच से छह फीसद लोगों में हार्ट अटैक का खतरा रहता है।

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद स्वस्थ हो चुके लोगों को बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है। ऐसा इसलिए कि कोरोना ठीक होने के बाद हार्ट अटैक भी हो रहा है। पांच से छह फीसद ऐसे नए लोगों को दिक्कत हो रही है, जिन्हें पहले यह रोग नहीं था। संक्रमण के दौरान खून की नसों में थक्का बनने सेे हार्ट अटैक हो रहा है। कोविड की रिपोर्ट निगेटिव होने के बाद कई लोगों की हार्ट अटैक से जान भी जा चुकी है। हृदय रोग विशेषज्ञ का कहना है कि रिपोर्ट निगेटिव आए तो डी-डाइमर वाले मरीज खून पतला होने की दवा जरूर लें।

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कोविड संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में ऐसे केस लगातार हो रहे

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज से संबंद्ध एक चिकित्सा शिक्षा संस्थान के विभागाध्यक्ष अप्रैल माह में कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। करीब दो सप्ताह में स्वस्थ हुए। शनिवार को वे अपने कार्यालय में बैठे थे तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा। छाती में तेज दर्द, शरीर पसीना-पसीना और घबराहट में उन्हें बेहोशी आने लगी। स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के कॉर्डियोलॉजी विभाग के डाक्टर राजपाल प्रजापति ने उनका इलाज किया। इस ताजा घटना के बाद दोनों डाक्टरों का कहना है कि कोविड संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में ऐसे केस लगातार हो रहे हैं।

डेढ़ माह में कई मामले सामने आए हैं

बीते डेढ़ महीने में कई ऐसे लोगों की जान जा चुकी है जो एसआरएन के लेवेल थ्री कोविड अस्पताल या अन्य किसी कोविड अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके थे। आइसीयू में भी कुछ लोगों की मौत हार्ट अटैक से हुई है। उससे पहले उनकी कोविड टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी थी।

हृदय रोग विशेषज्ञ ने दी यह सलाह

एसआरएन के कॉर्डियोलॉजी विभाग के हृदय रोग विशेषज्ञ डा. राजपाल प्रजापति का कहना है कि कोरोना से फेफड़े की नसों में क्लॉटिंग हो रही है तो हार्ट की खून की नसों में भी थक्के जम रहे हैं। जिन लोगों को पहले से सुगर, ब्लड प्रेशर या गुर्दे के रोग हैं। जिनका डी-डाइमर कोरोना के समय बढ़ा हुआ होता है तो ऐसे मरीजों को डिस्चार्ज होने के एक माह तक खून पतला होने की दवा दी जाती है। यह दवा देना जरूरी हो गया है। कहा कि कोरोना के बाद अचानक मौत हो रही हैं उसमें यह क्लॉटिंग बहुत बड़ा कारण है।


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