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इनवाइस और ई-वे बिल जारी होने के बाद भी व्‍यापारी रिटर्न भरने से वंचित हैं, देना पड़ेगा ब्‍याज व जुर्माना

उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति के संयोजक और अध्यक्ष कहते हैैं कि जिस व्यापारी ने माल बेचा एवं जिसने खरीदा है उसका पंजीयन निलंबित होने पर पोर्टल पर खरीद नहीं दिखनी चाहिए। बेचे गए माल पर ही रिटर्न नहीं भर पाना जीएसटी काउंसिल की विसंगति है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 16 Nov 2021 01:45 PM (IST)Updated: Tue, 16 Nov 2021 01:45 PM (IST)
जीएसटी में पंजीयन कराने वाले व्यापारियों की समस्याएं पूरी तरह से हल नहीं हो सकी हैैं।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में पंजीकृत ऐसे तमाम व्यापारी जिन्होंंने अपना माल दूसरे कारोबारियों को बेचा है, वह रिटर्न (जीएसटीआर-1) नहीं भर पा रहे हैैं। इनवाइस एवं ई-वे बिल होने के बावजूद पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) निलंबित होने के कारण उनके समक्ष समस्‍या आ रही है। समय से रिटर्न नहीं भरने पर माल बेचने वाले (विक्रेता) व्यापारी को ब्याज और जुर्माना देना पड़ेगा। वहीं माल खरीदने वाले (क्रेता) कारोबारी को भी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का लाभ नहीं मिलेगा। शिकायत के बावजूद इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है।

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जीएसटी में पंजीयन कराने वाले व्‍यापारी परेशान

जीएसटी में पंजीयन कराने वाले व्यापारियों की समस्याएं पूरी तरह से हल नहीं हो सकी हैैं। हाल के दिनों में सैकड़ों ऐसे व्यापारी रिटर्न नहीं दाखिल कर सके हैैं, जिनके पास जीएसटीएन पोर्टल से जारी 50 हजार रुपये से ज्यादा की इनवाइस एवं ई-वे बिल भी जनरेट है। कहा जा रहा है कि देनदारी (ड्यूज), रिटर्न दाखिल न करने अथवा विभागीय कार्रवाई के कारण उनका रजिस्ट्रेशन निरस्त हो गया है। इसलिए पोर्टल रिटर्न स्वीकार नहीं कर रहा है।

उप्र उद्योग व्‍यापार कल्‍याण समिति संयोजक ने यह कहा

उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति के संयोजक संतोष पनामा और अध्यक्ष सतीश चंद्र केसरवानी कहते हैैं कि जिस व्यापारी ने माल बेचा एवं जिसने खरीदा है, उसका पंजीयन निलंबित होने पर पोर्टल पर खरीद नहीं दिखनी चाहिए। बेचे गए माल पर ही रिटर्न नहीं भर पाना जीएसटी काउंसिल की विसंगति है। काउंसिल को इस समस्या का निराकरण कराना चाहिए, अन्यथा रजिस्ट्रेशन बहाल नहीं होने तक न विक्रेता रिटर्न भर सकेगा न ही क्रेता को आइटीसी मिलेगी।

जानें, क्या है जीएसटीआर-1

जीएसटीआर-1 में व्यापारियों को हर महीने की 11 तारीख तक अपने माल की बिक्री का विवरण भरना होता है। व्यापारी नेता केके अग्रवाल और जयकृष्ण कहते हैैं कि बड़ी मिलें भी इस समस्या से प्रभावित हो सकती हैं।


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