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Environmental Hazard : शहर बने कंक्रीट के जंगल, हरियाली को लग गया है ग्रहण Prayagraj News

प्रयागराज शहर में पर्यावरण के लिए खतरा उत्‍पन्‍न हो गया है। यहां शहरी वन क्षेत्र का विकास नहीं हो सका है। शहर में पेड़ों के नहीं कंक्रीट के जंगल बन चुके हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 01:36 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 01:36 PM (IST)
Environmental Hazard : शहर बने कंक्रीट के जंगल, हरियाली को लग गया है ग्रहण Prayagraj News
Environmental Hazard : शहर बने कंक्रीट के जंगल, हरियाली को लग गया है ग्रहण Prayagraj News

प्रयागराज, राजकुमार श्रीवास्तव। शहर कंक्रीट के जंगल बन गए हैं। जिधर देखिए जनाब ऊंची-ऊंची बिल्डिंग और शॉपिंग काम्‍पलेक्‍स ही नजर आते हैं। आधुनिकीकरण के दौर में पेड़ों को काटकर सड़काें का चौड़ीकरण किया गया। या यूं कह लें कि शहर की हरियाली को ग्रहण लग गया है। जो थी भी वह भी तेजी से खत्‍म हो गई। पर्यावरण के हिसाब से देखा जाए तो स्थिति अच्‍छी नहीं है।

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पर्यावरण मंत्रालय ने शहरी वन क्षेत्र विकसित करने की घोषणा की है

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों में दो सौ शहरों में शहरी वन क्षेत्र विकसित करने की घोषणा की है। हालांकि इसका प्रयागराज में कोई असर नहीं नजर आ रहा है। अफसरों की उदासीनता और घरों के मनमानी निर्माण के चलते शहरी क्षेत्र में जो हरियाली थी, वह भी खत्म हो गई और कंक्रीट के जंगल बस गए। शहर के तीन-चार बड़े पार्कों, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, सिविल लाइंस और कैंटोनमेंट क्षेत्रों को छोड़कर शहर के बाकी हिस्से में ऊंची इमारतें ही खड़ी हैं।

शहर में 10 फीसद भी हरा-भरा क्षेत्र नहीं है

जिले के कुल क्षेत्रफल का 33 फीसद हिस्सा हरियाली होना चाहिए। दावा किया जा रहा है कि शहरी क्षेत्र में अगर 12 से 18 फीसद हिस्से में भी हरियाली है तो उसे बेहतर माना जाता है। वहीं शहर में कितने फीसद क्षेत्रफल में हरियाली है, इसके आंकड़े न तो वन विभाग और न ही नगर निगम के पर्यावरण विभाग व विकास प्राधिकरण के पास है। ऐसे में माना जा रहा है कि 10 फीसद भी हरा-भरा क्षेत्र नहीं है। चंद्रशेखर आजाद पार्क, खुशरोबाग, मिंटोपार्क ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर्याप्त हरियाली है। कुंभ मेले के दौरान कुछ सड़कों पर शोभादार पौधे लगाए गए। हालांकि बड़ी संख्या में वर्षों पुराने पेड़ काटे जाने से हरियाली नदारद है। 

वन क्षेत्र में 2.21 वर्ग किमी की वृद्धि

वन क्षेत्र के निर्धारण के लिए हर दूसरे साल सर्वे होता है। पिछले वर्ष हुए सर्वे में जिले में वन क्षेत्र में 2.21 वर्ग किमी की वृद्धि हुई थी। वर्ष 2017 में वन क्षेत्र 127 वर्ग किमी से बढ़कर वर्ष 2019 में 129.21 वर्ग किमी हो गया।

हरियाली को आकड़ों में देखें

-5482 वर्ग किमी कुल क्षेत्रफल जिले का

-110 वर्ग किमी शहरी सीमा विस्तार से पहले

-200 वर्ग किमी शहरी सीमा विस्तार के बाद

-216 पार्क नगर निगम के

-40-50 पार्क पीडीए के।

डीएफओ कहते हैं

डीएफओ वाईपी शुक्ला कहते हैं कि शहर वन क्षेत्र का निर्धारण जटिल प्रक्रिया है। इसकी वजह से इसका निर्धारण नहीं हो सका है। शहर में 12 से 18 फीसद हिस्से में भी हरियाली है तो उसे बेहतर माना जाता है लेकिन यहां कम है। जरूरत पूरा करने को अब बागों को भी वन क्षेत्र में शामिल कर लिया जा रहा है।


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