खनन और एचडीजीसी घोटाला: NCR प्रयागराज मंडल के दो अफसरों पर मनी लांड्रिंग का केस, प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई
खुल्दाबाद की कंपनी मेसर्स शार्प इंटरप्राइजेज को काम करने का ठेका मिला। आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने मिलीभगत करके कंपनी को बिना काम कराए ही 12 लाख रुपये का भुगतान करवा दिया। इतना ही नहीं काम को मेजरमेंट बुक में दर्ज करवाया गया।
प्रयागराज, [ताराचंद्र गुप्ता]। खनन और एचडीजीसी घोटाले में कार्रवाई के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अब उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज मंडल के दो अफसरों पर मनी लांड्रिंग का केस कायम किया है। रेलवे के दूरसंचार अभियंता नीरज पुरी गोस्वामी और पीके सिंह के विरुद्ध इंफोर्समेंट केस इंफारमेशन रिपोर्ट (ईसीईआर) दर्ज करते हुए ईडी ने जांच शुरू कर दी है। इन पर सिग्नल से संबंधित सॉलिड इस्टेट इंटरलॉकिंग (एसएसआइ) का काम कराए बिना कंपनी को भुगतान करने और फिर कंपनी के प्रोपराइटर से घूस मांगने का आरोप है। ईडी इनकी अवैध तरीके की अर्जित संपत्ति का पता लगाकर जब्त करने की कार्रवाई करेगी। दोनों अधिकारी निलंबित चल रहे हैं।
बिना काम कराए करा लिया था 12 लाख रुपये का भुगतान
सूत्रों के मुताबिक, वर्ष 2017 से 2019 तक नीरजपुरी गोस्वामी और पीके सिंह प्रयागराज मंडल में दूर संचार अभियंता के पद पर कार्यरत थे। इस दौरान एसएसआइ को बदलने का काम होना था, जिसके लिए एक करोड़ 47 लाख के प्रोजेक्ट तैयार किया गया। फिर खुल्दाबाद की कंपनी मेसर्स शार्प इंटरप्राइजेज को काम करने का ठेका मिला। आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने मिलीभगत करके कंपनी को बिना काम कराए ही 12 लाख रुपये का भुगतान करवा दिया। इतना ही नहीं, काम को मेजरमेंट बुक में दर्ज करवाया गया। इसके बाद कंपनी के प्रोपराइटर रङ्क्षवद्र कुमार चौधरी पर दबाव बनाते हुए मेजरमेंट बुक पर हस्ताक्षर करवा लिया गया। ऐसा न करने पर उसका ठेका निरस्त करने की धमकी भी दी गई थी। तब प्रोजेक्ट मैनेजर अवधेश मिश्रा ने सीबीआइ की एंटी करप्शन ब्यूरो लखनऊ ने सात मार्च 2019 को शिकायत की और अगले दिन रिपोर्ट दर्ज हुई थी। अब ईडी ने सीबीआइ की एफआइआर को आधार बनाते हुए ईसीईआर दर्ज किया है।
नीरजपुरी के घर से 65 लाख की बरामदगी -
रिपोर्ट दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने नीरजपुरी के घर और दूसरे ठिकानों पर छापेमारी करते हुए 65 लाख रुपये की बरामदगी की थी। इतना ही नहीं, जांच में दो साल के भीतर 85 लाख लाख रुपये आय से अधिक पाया गया था। इस आधार पर ईडी मान रही है कि नीरजपुरी और उसके सहयोगी अधिकारी पीके ङ्क्षसह ने अवैध रूप से काफी संपत्ति अॢजत की है।
रंगेहाथ पकड़े गए थे -
कंपनी को 12 लाख रुपये भेजने के बाद दोनों अधिकारियों ने उसी रकम से पांच-पांच लाख रुपये वापस मांगे। तब सीबीआइ की टीम ने दोनों को रंगेहाथ गिरफ्तार किया था और फिर जेल भेजा था। बताया गया है कि कंपनी को फरवरी 2019 में 12 लाख रुपये बिना काम कराए ही भुगतान किया गया था।