बीपीसीएल में आवश्यक सेवानिवृत्ति लागू होने से कर्मचारी हैं परेशान, प्रबंधन को सौंपा गया ज्ञापन
भारत पंप एंड कंप्रेसर्स लिमिटेड (बीपीसीएल) में आवश्यक सेवानिवृत्ति लागू होने से कर्मचारियों में खलबली मच गई है। इसके लागू होने के साथ ही कंप्रेसर्स पंप बनाने वाली भारत सरकार की मात्र एक उपक्रम भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा।
प्रयागराज, जेएनएन। भारत पंप एंड कंप्रेसर्स लिमिटेड (बीपीसीएल) में आवश्यक सेवानिवृत्ति लागू होने से कर्मचारियों में खलबली मच गई है। इसके लागू होने के साथ ही कंप्रेसर्स पंप बनाने वाली भारत सरकार की मात्र एक उपक्रम भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा। कर्मचारी सातवें वेतन आयोग को लागू करते हुए आवश्यक सेवानिवृत्ति की जगह स्वैच्छिक सेवा योजना लागू करने की मांग करते हुए प्रबंधन को आज ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में 24 घंटे के अंदर मांग पूरी न होने पर धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी दी गई है।
खर्च निकाल रही कंपनी तब भी बंद करने का फैसला
एक दशक पहले मिनी रत्न की उपाधी से नवाजे गए इस कंपनी के पास वर्तमान में करीब 45 करोड़ का वर्क आर्डर है। उत्पादन कार्य भी नियमित चल रहा है। पिछले कई सालों से कंपनी स्वयं अपने खर्चे भी उठा रही, इसके बावजूद कैबिनेट में इसे बंद करने का निर्णय होने के बाद से कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर परेशान थे। क्षेत्रीय सांसद डी. रीता जोशी ने भी कंपनी को बचाने का प्रयास किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। पिछले दिनों आवश्यक सेवा निवृत्ति लागू होने के बाद से कर्मचारी दुखी है। बीपीसीएल इंपलाइज यूनियन ने आज प्रबंधन को एक ज्ञापन देकर चेतावनी दी है कि 24 घंटे के अंदर सातवें वेतन आयोग के तहत उनके वेतन का पुनरीक्षित नहीं लागू किया गया तो वे धरना प्रदर्शन को बाध्य होंगे। यूनियन के अध्यक्ष श्रीराम यादव और पूर्व महामंत्री आरएलडी दुबे का कहना है कि कर्मचारियों के भविष्य के साथ किए जा रहे खिलवाड़ को कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
योजना का लाभ न लेने पर स्वयं बर्खास्त माने जाएंगे
बीपीसीएल में केंद्र सरकार की ओर से लागू की गई आवश्यक सेवानिवृत्त के तहत कंपनी के 140 कर्मचारियों की नौकरी दांव पर लग गई। इस योजना का लाभ न लेने पर कर्मचारी को तीन माह बाद स्वयं बर्खास्त माना जाएगा। उसके बकाए का भुगतान भी होना मुश्किल होगा। इसकी जानकारी होने के बाद से कर्मचारी परेशान है। कंपनी में छठवां और सातवां वेतन लागू भी नहीं है। ऐसे में कर्मचारियों को इस योजना के तहत मिलने वाली रकम उनके भविष्य को संवारने में नाकाफी होगी।