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जीओ टैगिंग में कर्मचारी कर रहे हैं फर्जीवाड़ा, सामने आ रही गड़बड़ी

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत डेमो मुहैया कराने के बावजूद बड़े पैमाने पर शौचालय निर्माण में गड़बडिय़ां सामने आ रहीं हैं। अब तक डेढ़ सौ ग्राम सचिवों के खिलाफ कार्रवाई हुई है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 01 Apr 2019 11:08 AM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2019 11:08 AM (IST)
जीओ टैगिंग में कर्मचारी कर रहे हैं फर्जीवाड़ा, सामने आ रही गड़बड़ी
जीओ टैगिंग में कर्मचारी कर रहे हैं फर्जीवाड़ा, सामने आ रही गड़बड़ी

प्रयागराज : स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत जिले में जो शौचालय बन रहे हैं, उनकी ऑनलाइन फीडिंग (जीओ टैगिंग) में कर्मचारी फर्जीवाड़ा करते हैं। एडीओ (पंचायत), ग्राम सचिवों और ग्राम प्रधानों को डेमो देने के बावजूद जांच में बड़े पैमाने पर गड़बडिय़ां सामने आ रही हैं। यही वजह है कि तीन दिन पहले करीब डेढ़ सौ ग्राम सचिवों के खिलाफ वेतन रोकने समेत स्पष्टीकरण और कारण बताओ नोटिस जारी की गई थी।

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स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत कई ब्लॉकों की स्थिति अच्छी नहीं है

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत 2012 की बेस लाइन के अनुसार शौचालयों की जीओ टैगिंग शत-प्रतिशत हो जानी चाहिए थी, लेकिन फूलपुर, बहरिया, कौडि़हार, धनूपुर समेत कई ब्लॉकों की स्थिति अच्छी नहीं है। अधिकारियों का दबाव पडऩे पर कर्मचारी फर्जीवाड़ा करने से भी नहीं चूकते हैं। सूत्र बताते हैं कि जीओ टैगिंग का काम गाइड लाइन के मुताबिक और गुणवत्तापूर्ण नहीं हो रहा है। एक ही शौचालय की फोटो कई बार फीड कर दी जाती है।

अधिकारी कहते हैं कि कार्रवाई की जा रही है

कर्मचारियों को डेमो भी दिया गया, फिर भी वह गड़बड़ी करते हैं। हालांकि, अधिकारी कहते हैं कि गड़बड़ी संज्ञान में आने पर कार्रवाई की जा रही है। बता दें कि पूर्व में 4 लाख 77 हजार 587 शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा गया था। वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 67908 घरों में शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा गया, जो पूरा नहीं हुआ।

इस पर ध्यान देने की जरूरत

फोटो अपलोड करते समय छत, पानी की टंकी, टॉयलेट शीट, रोशनदान, शौचालय का प्रवेश द्वार संग दायीं और बायीं ओर की दीवारें, एलजीडी कोड जरूर दिखाई देना चाहिए। लाभार्थी की फोटो और दरवाजा भी बाहर खुला होना चाहिए।

कहते हैं डीपीआरओ

डीपीआरओ अनिल कुमार त्रिपाठी कहते हैं कि कर्मचारी फोटो अपलोडिंग सही करते हैं। हालांकि कई बार दबाव में शौचालय का काम पूरा अथवा रंगाई-पुताई हुए बगैर फोटो अपलोड कर दी जाती है। इसे फर्जीवाड़ा नहीं कहेंगे।


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