सिविल लाइंस बस अड्डा : यात्रियों की गाढ़ी कमाई से लगे इलेक्ट्रानिक उपकरण ध्वस्त Prayagraj News
यूपी रोडवेज के प्रयागराज स्थित सिविल लाइंस बस अड्डे पर यात्री सुविधाओं की कमी है। यहां लगे इलेक्ट्रानिक उपकरण ध्वस्त हो गए हैं। स्टेशन पर एलईडी स्क्रीन कबाड़ बन गई है।
प्रयागराज, जेएनएन। रोडवेज के सिविल लाइंस बस अड्डे पर तकनीकी सुविधाएं औंंधे मुंह गिरी पड़ी हैं। यात्रियों की सुविधा और असामाजिक तत्वों से सुरक्षा की अनदेखी हो रही है। जनता की गाढ़ी कमाई से लगाए गए इलेक्ट्रानिक उपकरण ध्वस्त पड़े हैं। वहींं इन उपकरणों की मरम्मत के लिए जवाबदेह एजेंसी पर मेहरबानी भी है। उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम (रोडवेज) मुख्यालय लखनऊ से इस दिशा में कोई कदम न उठाए जाने से विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। यात्रियों ही नहीं, अब तो बस संचालन की ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों में भी आक्रोश पनप रहा है।
एलईडी स्क्रीन लगाने में परिवहन निगम ने काफी धनराशि खर्च की थी
सिविल लाइंस बस स्टेशन पर यात्रियों को बसों के आने-जाने का समय और रूट बताने की जानकारी देने के लिए एलईडी स्क्रीन लगवाने में परिवहन निगम ने काफी धनराशि खर्च की थी। यात्री प्रतीक्षालय में कुल 11 एलईडी स्क्रीन लगाई गई थी। इसका टेंडर तकनीकी प्रणाली पर काम करने वाली एक एजेंसी को दिया गया था। उसी एजेंसी के द्वारा बस स्टेशन पर ऑनलाइन टिकट बुकिंग विंडो की व्यवस्था, सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था भी गई थी। वर्तमान समय में यह सभी सुविधाएं ध्वस्त हैं।
यात्रियों की सुरक्षा को नहीं, डग्गामारी रोकने को लगे सीसीटीवी कैमरे
यात्रियों के वातानुकूलित प्रतीक्षालय सहित अन्य स्थानों पर यह तो लिखा है कि आप सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में हैं लेकिन क्लोज सर्किट कैमरे इन सभी जगह से गायब हैं। इतना जरूर है कि निगम अधिकारियों ने बस स्टेशन के मुख्य द्वार पर डग्गामारी रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए। जबकि यात्रियों की सुरक्षा भगवान भरोसे छोड़ दी। तकनीकी सूचनाएं देने वाली सभी एलईडी स्क्रीन निष्क्रिय हैं। बस कंडक्टरों व दूसरे जिले के डिपो से संबद्ध एसी बसों के कंडक्टरों में यह आक्रोश पनप रहा है कि ऑनलाइन बुकिंग काउंटर अक्सर बंद रहता है। इससे बुकिंग वाले यात्रियों की सूची नहीं मिल पाती।
बोले रोडवेज के प्रयागराज परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक
परिवहन निगम के प्रयागराज परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक टीकेएस बिसेन कहते हैं कि जिस कंपनी ने उपकरण लगाए थे सुविधाएं न दे पाने के कारण उसके भुगतान में कटौती कर ली गई है। एजेंसी लगभग दिवालिया हो चुकी है। मुख्यालय स्तर से एजेंसी बदलने की कार्यवाही चल रही है।