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Allahabad Central University : लॉकडाउन में आधा हो गया विश्वविद्यालय का बिजली बिल, अन्‍य मदों में वृद्धि हुई है

इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में लॉकडाउन के कारण बिजली का बिल काफी आया है। तीन महीने में तीन करोड़ आने वाला बिजली बिल कोरोनाकाल में एक करोड़ रुपये ही है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 09:47 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 09:47 AM (IST)
Allahabad Central University : लॉकडाउन में आधा हो गया विश्वविद्यालय का बिजली बिल, अन्‍य मदों में वृद्धि हुई है
Allahabad Central University : लॉकडाउन में आधा हो गया विश्वविद्यालय का बिजली बिल, अन्‍य मदों में वृद्धि हुई है

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पिछले दिनों लॉकडाउन लगा दिया गया था। लॉकडाउन में इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) का आने वाला बिजली का बिल आधा से भी कम हो गया। हालांकि, अन्य कई मदों में वृद्धि भी तेजी से हुई। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को भेजी गई रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ है। शिक्षकों को अप्रैल से जून के बीच इस बार परिवहन भत्ता भी न देने का निर्णय लिया गया है।

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यह कहती है रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक सत्र 2019-20 में अप्रैल से जून के बीच तीन करोड़ 48 लाख 76 हजार रुपये बिजली का बिल आया। जबकि, सत्र 2020-21 में अप्रैल से जून के बीच यह बिल एक करोड़ 52 लाख 61 हजार पर ही सिमट गया। कई मदों में गिरावट भले ही दर्ज हुई हो पर कई मदों में उछाल भी तेजी से आया है। शिक्षकों को अप्रैल से जून के बीच इस बार परिवहन भत्ता भी न देने का निर्णय लिया गया है। इस पर पिछले दिनों नियंत्रक एवं  महालेखाकार (कैग) ने आपत्ति भी जताई थी। इसके बाद रिकवरी का आदेश भी जारी हुआ। हालांकि, शिक्षकों ने इसका विरोध भी किया। इसी तरह, अप्रैल से जून के बीच आउटसोर्सिंग और सेमिनार व कॉन्फ्रेंस में होने वाला खर्च भी शून्य हो गया। 

39.47 लाख का पानी पी गया इविवि

वैश्विक महामारी कोरोना में तीन महीने के बीच इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) ने नगर निगम को 39.47 लाख रुपये पानी के बिल के रूप में अदा किया है। सत्र 2019-20 में भी अप्रैल से जून के बीच पानी का बिल 39.47 लाख रुपये अदा किया गया था। इस मद से नगर निगम ने इविवि परिसर के अलावा शिक्षक कॉलोनी में पानी की सप्लाई की है। यदि सालाना देखा जाए तो इविवि प्रशासन ने वर्ष 2019-20 में पानी पर 72 लाख छह हजार रुपये खर्च किया। जबकि, वर्ष 2020-21 में यह बढ़कर दो करोड़ पांच लाख पहुंच गया। 

प्रशासनिक-अकादमिक गतिविधियों का बढ़ा खर्चा

यूजीसी को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन में भी अकादमिक गतिविधियों का खर्च बढऩे के साथ प्रशासनिक गतिविधियों में भी काफी खर्च दिखाया गया है। अप्रैल से जून के बीच अकादमिक गतिविधियों में एक करोड़ 78 लाख 48 हजार रुपये खर्च हुआ। अब यह बात किसी को हजम नहीं हो रही है कि लॉकडाउन में यह खर्च कैसे बढ़ गया। इसी तरह, प्रशासनिक गतिविधियों में तीन माह में तीन करोड़ 89 लाख 86 हजार रुपये खर्च हुआ है।


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