NCR के हर ट्रैक पर दौड़ेंगी इलेक्ट्रिक इंजन वाली ट्रेनें, सभी रूट का विद्युतीकरण कार्य लगभग पूरा
एनसीआर के सीपीआरओ ने बताया कि 2030 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य है। अक्षय ऊर्जा संयंत्र लगाने के साथ विद्युतीकरण सबसे अहम है। इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनों की गति व समयपालनता बढ़ेगी। पर्यवरणीय लाभ होंगे। चरणबद्ध तरीके से सभी ट्रेनों में डीजल इंजन की जगह इलेक्ट्रिक इंजन लगेंगे।
प्रयागराज, [अमरीश मनीष शुक्ल]। उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के हर ट्रैक पर इलेक्ट्रिक इंजन वाली ट्रेन दौड़ेंगी। एनसीआर का 3222 किलोमीटर रूट का लगभग शत-प्रतिशत विद्युतीकरण हो गया है। मात्र 76 किमी विद्युतीकरण शेष है। इलेक्ट्रिक इंजन वाली ट्रेनों से पर्यावरण संरक्षण के साथ ऊर्जा की बचत होगी, कार्बन उत्सर्जन कम होगा और गति बढ़ने के साथ ट्रेनें राइट टाइम पहुंचेगी। रेलवे इलेक्ट्रिक इंजन के माध्यम से करोड़ों रुपये की बचत भी करेगा।
करोड़ों रुपये की कैसे होगी बचत :
इलेक्ट्रिक इंजन वाली ट्रेन पर प्रति किमी खर्च
- सात यूनिट बिजली
- मूल्य 42 रुपये (छह रुपये प्रति यूनिट)।
डीजल इंजन वाली ट्रेन पर प्रति किमी खर्च
- छह से आठ लीटर डीजल- मूल्य 720 रुपये (90 रुपये प्रति लीटर)।
- रेलवे की प्रति ट्रेन बचत
- 678 रुपये।
- लगभग 750 ट्रेनों से प्रतिदिन बचत 508500 रुपये लगभग
- एक इलेक्ट्रिक इंजन की कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये।
एनसीआर का कार्य
- उत्तर मध्य रेलवे का कुल ब्राड गेज नेटवर्क 3222 रूट किलोमीटर है।
- अब 3146 किलोमीटर का विद्युतीकरण पूरा।
- मात्र 76 किलोमीटर का कार्य बाकी।
- 2021-22 में 652 रूट किमी का विद्युतीकरण पूरा हुआ।
- एनसीआर क्षेत्र से लगभग 750 ट्रेनें गुजरती हैं।
- 2021-22 में 42 जोड़ी ट्रेने डीजल से इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन में परिवर्तित हो चुकी हैं।
यहां पूरा हुआ विद्युतीकरण
उत्तर प्रदेश के एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, इटावा, फिरोजाबाद तथा आगरा और मध्य प्रदेश के ग्वालियर, भिंड, टीकमगढ़ और छतरपुर, मैनपुरी-शिकोहाबाद, फर्रुखाबाद, बरहन, पनकी, चुनार, सैफई का रूट पूरी तरह से विद्युतीकरण हो चुका है। झांसी-बबीना, भूतेश्वर-छाता, धौलपुर-भंडई (आगरा मंडल) और कानपुर-वीरांगना लक्ष्मीबाई (झांसी मंडल) भी विद्युतीकृत हो गया है। प्रयागराज मंडल शत प्रतिशत विद्युतीकृत हो गया है।
बोले एनसीआर के सीपीआरओ
उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) डा. शिवम शर्मा कहते हैं कि 2030 तक नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को लेकर हम चल रहे हैं। अक्षय ऊर्जा संयंत्र लगाने के साथ विद्युतीकरण सबसे अहम है। इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनों की गति व समयपालनता बढ़ेगी। पर्यवरणीय लाभ होंगे। चरणबद्ध तरीके से सभी ट्रेनों में डीजल इंजन की जगह इलेक्ट्रिक इंजन लगेंगे।