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Magh Mela में कल्पवासियों और श्रद्धालुओं में पर्यावरण की स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने की हो रही है कोशिश

संगम तट पर लगे माघ मेले में लोगों में गंगा की निर्मलता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अलख जगाने का प्रयास किया जा रहा है। सरकारी और कई गैर संस्थाओं के साथ ही साधु संत और दंडी संन्यासी भी लोगों से लगातार अपील कर रहे हैं

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 07:00 AM (IST)
Magh Mela में कल्पवासियों और श्रद्धालुओं में पर्यावरण की स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने की हो रही है कोशिश
गंगा के साथ ही पर्यावरण के संरक्षण में सबकी सहभागिता जरूरी है।

प्रयागराज, जेएनएन। संगम तट पर लगे माघ मेले में लोगों में गंगा की निर्मलता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अलख जगाने का प्रयास किया जा रहा है। सरकारी और कई गैर संस्थाओं के साथ ही साधु संत और दंडी संन्यासी भी लोगों से लगातार अपील कर रहे हैं कि गंगा के साथ ही पर्यावरण के  संरक्षण में सबकी सहभागिता जरूरी है।

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पर्यावरण संरक्षण के प्रति किया जागरूक

माघ मेला स्थित नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय के शिविर में पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक किया गया। कुलपति प्रो. राममोहन पाठक ने हरी झंडी दिखाकर रैली को रवाना किया। गंगातट पर पहुंचकर रैली में शामिल छात्र-छात्राओं ने लोगों को स्वच्छता के बारे में बताया। शिविर में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता प्रो. शील प्रिय त्रिपाठी ने पर्यावरण के पौराणिक महत्व को रेखांकित किया। इस अवसर पर डा. दीपक त्रिपाठी, डॉ. सियाराम शुक्ला व डॉ. मोनिका सिंह आदि मौजूद रहे।

मां काली की स्तुति में लीन महंत आशीष दास

प्रयागराज के माघ मेला क्षेत्र में महावीर मार्ग पर देवदास विरक्त धार्मिक संस्थान के शिविर में संत व भक्त मां काली की स्तुति में लीन हैं। महंत आशीष दास के नेतृत्व में कोरोना संक्रमण की समाप्ति, राष्ट्र की आर्थिक, सैन्य व वैज्ञानिक उन्नति की संकल्पना साकार करने के लिए दक्षिणेश्वरी मां काली का विधि-विधान से अनुष्ठान चल रहा है। महंत आशीष बताते हैं कि मां काली निष्कपट भाव को स्वीकार करती हैं। शारीरिक, मानसिक रूप से पवित्र व्यक्ति यम-नियम से उनकी स्तुति करता है तो वो समस्त कामनाएं पूर्ण करती हैं। यही कारण है कि माघ मास में काली मइया की स्तुति विधि-विधान से कराई जा रही है, जिससे भारत उन्नति के मार्ग पर बढ़ सके।


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