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Edible Oils Price: खाद्य तेलों के दाम ने फिर लगाई छलांग, व्‍यापारियों ने तो लगाई थी यह उम्‍मीद

Edible Oils Price खाद्य तेलों के दाम बढ़े हैं। इसका असर आम जन पर ही पड़ेगा। व्यापारियों का मानना है कि कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर लॉकडाउन होने के डर से कंपनियां रेट में वृद्धि कर रही हैं जिसका असर बाजार में भी पड़ रहा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 09:32 AM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 09:32 AM (IST)
Edible Oils Price: खाद्य तेलों के दाम ने फिर लगाई छलांग, व्‍यापारियों ने तो लगाई थी यह उम्‍मीद
व्यापारियों की मानें तो कोरोना के बढ़ते मामलों पर लॉकडाउन की संभावना से कंपनियां रेट में वृद्धि कर रही हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। होली पर्व के बाद व्यापारियों ने खाद्य तेलों की कीमतों में कमी के आस लगाए थे। हालांकि  त्योहार के बीतने पर इसके उल्टा हो गया। इस सप्ताह दो दिनों में खाद्य तेलों की थोक कीमतों में दो से तीन रुपये किलो तक की वृद्धि हुई। इससे आम लोगों की जेब अब अधिक ढीली होगी।

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खाद्य तेलों के फुटकर में बढ़ेंगे दाम

सोमवार को सरसों के तेल, सोयाबीन फार्च्‍यून यानी रिफाइंड और पामोलीन की कीमतों में 15 रुपये टिन की वृद्धि हुई थी। मंगलवार को दामों में 15 से लेकर 25 रुपये की और बढ़ोतरी हुई। सोमवार को सरसों के तेल का थोक रेट 2215 रुपये 15 किलो टिन, सोयाबीन फार्च्‍यून यानी रिफाइंड का दाम 2115 रुपये 15 लीटर टिन और पॉमोलीन का मूल्य 2015 रुपये 15 किलो टिन था। जो मंगलवार को बढ़कर क्रमश: 2240, 2140 और 2030 रुपये हो गया था। इससे फुटकर दाम में और तेजी के आसार हैं।

व्‍यापारियों का मानना है कि कोरोना का खाद्य तेलों का दाम बढ़ा

फिलहाल अभी फुटकर में सरसों के तेल का दाम 145 से 150 रुपये किलो, रिफाइंड 135 से 140 लीटर और पामोलीन 125-130 रुपये किलो है। बता दें कि सोमवार को बिक्री में कुछ तेजी आने पर खाद्य तेलों की कीमतों में 15-15 रुपये टिन की बढ़ोतरी हुई थी। व्यापारियों का मानना है कि कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर लॉकडाउन होने के डर से कंपनियां रेट में वृद्धि कर रही हैं, जिसका असर बाजार में भी पड़ रहा है।

इलाहाबाद गल्ला तिलहन व्यापार मंडल के अध्यक्ष बोले

इलाहाबाद गल्ला तिलहन व्यापार मंडल के अध्यक्ष सतीश केसरवानी का कहना है कि पहले स्थानीय स्तर पर भी सरसों के तेल का उत्पादन होने पर रेट ज्यादा महंगा नहीं होता था। अब कंपनियों पर निर्भरता होने से दाम तेजी से बढ़ रहे हैं।


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