UP Mining Scam: कौशांबी के पूर्व डीएम सत्येंद्र सिंह समेत 10 पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस, जब्त होगी संपत्ति
UP Mining Scam इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देशों के क्रम में कौशांबी में अवैध खनन की जांच सीबीआइ कर रही है। 25 जनवरी को सीबीआइ ने पूर्व डीएम सत्येंद्र सिंह और पट्टाधारकों पर मुकदमा कायम किया था। ईडी ने इसी एफआइआर को आधार बनाते हुए केस दर्ज किया है।
प्रयागराज [ताराचंद्र गुप्ता]। उत्तर प्रदेश में अवैध बालू खनन में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) द्वारा आरोपित बनाए गए कौशांबी के पूर्व जिलाधिकारी सत्येंद्र सिंह समेत 10 लोगों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। आसार हैं कि आरोपितों की अवैध तरीके से अर्जित संपत्तियों को जल्द ही जब्त किया जा सकता है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देशों के क्रम में कौशांबी में हुए अवैध खनन की जांच सीबीआइ कर रही है। बीती 25 जनवरी, 2021 को केंद्रीय जांच एजेंसी ने पूर्व डीएम सत्येंद्र सिंह और पट्टाधारकों के खिलाफ मुकदमा कायम किया था। ईडी ने इसी एफआइआर को आधार बनाते हुए धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत इंफोर्समेंट केस इंफार्मेशन रिपोर्ट (ईसीईआर) दर्ज की है।
सत्येंद्र सिंह वर्ष 2012 से 2014 तक कौशांबी के जिलाधिकारी थे। आरोप है कि इस दौरान उन्होंने गलत तरीके से दो नए खनन पट्टे आवंटित किए और नौ पट्टों का नवीनीकरण किया। इसमें नियमों की अनदेखी की गई और ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। अब ईडी की टीम पट्टे की आड़ में अवैध तरीके से अर्जित चल और अचल संपत्तियों का पता लगाएगी। जल्द ही एक टीम कौशांबी जाकर तफ्तीश करेगी।
इनके खिलाफ लिखा गया केस
- सत्येंद्र सिंह, पूर्व डीएम कौशांबी, निवासी लखनऊ
- नेपाली निषाद उमरावल, चायल कौशांबी
- नर नारायण मिश्रा, इमिलिया चायल, कौशांबी
- रमाकांत द्विवेदी, गोरिया गोपशाशा मंझनपुर, कौशांबी
- खेमराज सिंह, गोराजू मंझनपुर, कौशांबी
- राम प्रताप सिंह, शंकरगढ़ प्रयागराज
- मुन्नीलाल, मंझनपुर, कौशांबी
- शिव प्रकाश सिंह, फरीदपुर चायल, कौशांबी
- राम अभिलाष, बभनपुरवा, मंझनपुर, कौशांबी
- योगेंद्र सिंह, गोराजू मंझनपुर कौशांबी
- कुछ अज्ञात अधिकारी व अन्य
संगठित तरीके से आपराधिक साजिश : सूत्रों का दावा है कि सीबीआइ ने अपनी जांच में पाया है कि तत्कालीन जिलाधिकारी ने पट्टाधारकों से साथ मिलकर आपराधिक साजिश की है। खनन माफिया ने कतिपय अफसरों की साठगांठ से पुराने पट्टों का भी नवीनीकरण करवा लिया था। उस वक्त राज्य सरकार की ओर से ई-टेंडर के जरिए पट्टा आवंटित करने का आदेश जारी हो चुका था।
फरवरी में ही सीबीआइ ने भी दर्ज किया था केस : सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी सत्येंद्र सिंह पर आरोप है कि 2012 से 2014 तक जिलाधिकारी रहते हुए उन्होंने गलत ढंग से खनन पट्टे आवंटित कर दिए थे। पिछले दिनों छापे मारकर सीबीआइ नकदी, जेवर और अचल संपत्ति के दस्तावेज सहित तमाम साक्ष्य भी इकट्ठे कर चुकी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा 2016 में दिए गए आदेश के बाद 2017 से सीबीआइ खनन घोटाले की जांच कर रही है। इसमें आइएएस अधिकारी बी.चंद्रकला, जीवेश नंदन, अभय सिंह, संतोष कुमार राय, विवेक और देवीशरण उपाध्याय सहित तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ पहले से ही जांच चल रही है। इसी के तहत सीबीआइ ने दो फरवरी, 2021 को कौशांबी के तत्कालीन जिलाधिकारी सत्येंद्र सिंह के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया है।
ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का नहीं किया पालन : आरोप है कि 2012 से 2014 के दौरान पद पर रहते हुए उन्होंने दो नए खनन पट्टे आवंटित किए और नौ का नवीनीकरण किया। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा 31 मई, 2012 को जारी आदेश के तहत ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का पालन नहीं किया। पिछले दिनों सीबीआइ ने कौशांबी और लखनऊ में आरोपितों के नौ अलग-अलग स्थानों पर छापे मारकर कई दस्तावेज और अन्य साक्ष्य जुटाए थे। इसी तरह सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी सत्येंद्र सिंह के परिसर में छापा मारकर दस लाख रुपये नकद, 44 अचल संपत्तियों, 51 लाख रुपये फिक्स डिपाजिट से संबंधित दस्तावेज, स्वजन और नौकरों के नाम से लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, नई दिल्ली की बैंकों में खोले गए खातों के कागजात और छह लॉकरों की चाबियां बरामद हुई थीं। इन लॉकरों में 2.11 करोड़ रुपये के सोने-चांदी के जेवर और एक लाख रुपये के पुराने नोट मिले थे। खनन घोटाले की जांच सीबीआइ के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय भी कर रहा है। जांच की जद में कौशांबी, प्रयागराज के साथ ही हमीरपुर, शामली, फतेहपुर, देवरिया, सिद्धार्थनगर आदि जिलों में हुए पट्टे हैं।