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Magh Mela 2022: गंगा का जलस्तर बढ़ने से अबकी समय पर माघ मेला बसाने में आएगी बाधा

गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए तैयारियों को लेकर अफसर चिंतित हैं। गंगा का पानी सिटी साइड और झूंसी तरफ भी फैल गया है। यह पानी धीरे-धीरे कम होगा तो उसे सूखने में करीब एक महीने का समय लग जाएगा। ऐसे में नवंबर में समतलीकरण का काम मुश्किल होगा।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 02 Nov 2021 12:30 PM (IST)Updated: Tue, 02 Nov 2021 12:30 PM (IST)
Magh Mela 2022: गंगा का जलस्तर बढ़ने से अबकी समय पर माघ मेला बसाने में आएगी बाधा
माघ मेला एरिया में बाढ़ का पानी कम होने पर दलदल की संभावना

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। पिछले दिनों पहाड़ों पर हुई बारिश के कारण गंगा का जलस्तर संगमनगरी में तेजी से बढ़ा है। जलस्तर बढ़ने से संगम क्षेत्र से तीर्थ पुरोहितों को तख्त, फल-फूल और पूजा सामग्री की दुकानें समेटनी पड़ी है। वहीं श्रद्धालुओं को भी परेशानी हो रही है। गंगा के बढ़ते जलस्तर से सबसे ज्यादा मेला प्रशासन चिंतित है। अगर बाढ़ का पानी जल्द कम न हुआ तो मेला की तैयारी में देरी होगी।

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हर साल नवंबर में शुरू हो जाती थी मेले की तैयारी

संगम तट पर 14 जनवरी 2022 से पहले माघ मेला बसा देना है। पांच सेक्टर में बसने वाले इस मेले के लिए अक्टूबर से तैयारी शुरू हो गई थी। नवंबर में जमीन पर काम शुरू होना था। प्रशासन ने उस हिसाब से पिछले बैठक भी कर ली और लोक निर्माण विभाग ने पांच पुलों के लिए टेंडर भी कर दिया। लेकिन गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए तैयारियों को लेकर अफसर चिंतित हैं। गंगा का पानी सिटी साइड और झूंसी तरफ भी फैल गया है। यह पानी धीरे-धीरे कम होगा तो उसे सूखने में करीब एक महीने का समय लग जाएगा। ऐसे में नवंबर में समतलीकरण का काम होना मुश्किल होगा। अगर पानी घटने के साथ दलदल छोड़ गया तो और परेशानी होगी। जहां पर अभी पानी भरा है, वहां संतों को बसाया जाता है।

बदलना पड़ सकता है मेले का स्वरूप

अगर यही हाल रहा तो अबकी माघ मेला के स्वरूप में भी कुछ बदलाव करना पड़ेगा। अभी के हालात को देखते हुए तीर्थ पुरोहित गुलाब मिश्र ने बताया कि संगम नोज से तख्त एवं दुकानें अभी हटा लिए हैं। जलस्तर घटने के बाद संगम तट पर गंदगी फैलेगी। सफाई न होने से सभी की मुश्किलें होगी। दलदल होने के कारण माघ मेले की तैयारी भी प्रभावित होगी। अशोक कुमार झा और रमेश मिश्र ने कहा इस दलदल काे सूखने में समय लगेगा, इसलिए मेला बसावट में परेशानी आएगी।


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