सरहद की सुरक्षा करेगा ट्रिपलआइटी में तैयार ड्रोन, जानिए कैसे देगा घुसपैठियों की सटीक जानकारी
पवन खरवार ने बताया कि इसमें थर्मल इमेजिंग कैमरा नाइट विजन कैमरा के अलावा एक सामान्य कैमरा भी लगा होगा। दूर की चीजों को बारीकी से परखने के लिए जूमिंग पावर सिस्टम लगा रहेगा। यह सरहदों के करीब खराब मौसम और बर्फबारी में भी घुसपैठियों की तस्वीर कैद करेगा
प्रयागराज, गुरूदीप त्रिपाठी। गंगा-यमुना के तट पर बसे इस शहर ने अपनी बौद्धिक क्षमता के बूते सुरक्षा के क्षेत्र में नई इबारत लिखी है। यहां के दो तकनीकी संस्थान राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखते हैं। वर्तमान में यहीं के मेधावी देश की सरहदों की सुरक्षा के लिए सेंसरयुक्त ड्रोन (रक्षक पीएस-1925) तैयार करने में जुटे हैं। उनका दावा है कि यह ड्रोन ऐसी विशेषताओं से लैस रहेगा जो सीमाओं की सुरक्षा में फौज के लिए सहायक है।
दो महीने में ड्रोन तैयार होने के बाद राष्ट्र के नाम करेंगे समर्पित
प्रयागराज के पश्चिमी छोर पर बसे झलवा में स्थापित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपलआइटी) में एप्लाइड साइंस के शोध छात्र पवन खरवार और शेफाली विनोदराम टेके यह अनोखा ड्रोन तैयार कर रहे हैं। प्लेन के आकार और तीन मीटर लंबाई वाले रक्षक पीएस-1925 की डिजाइन तैयार कर ली गई है। यह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैश होगा। इस ड्रोन की खासियत होगी लांग रेंज वीडियो एंड डेटा एंड टेलीमेट्री फार पीएस 1925। ड्रोन तैयार करने वाले छात्र पवन खरवार ने बताया कि इसमें थर्मल इमेजिंग कैमरा, नाइट विजन कैमरा के अलावा एक सामान्य कैमरा भी लगा होगा। दूर की चीजों को बारीकी से परखने के लिए जूमिंग पावर सिस्टम लगा रहेगा। यह सरहदों के करीब खराब मौसम और बर्फबारी में भी घुसपैठियों की तस्वीर कैद करने के बाद विश्लेषण कर फौरन सटीक जानकारी उपलब्ध कराने में सक्षम होगा। 360 डिग्री पर फोटो और वीडियो लेने वाला यह ड्रोन दिन के अलावा रात में भी 200 किलोमीटर की दूरी तक निगहबानी कर सकेगा। इसके लिए ट्रांसमीटर और रिसीवर भी लगा होगा।
दो माह में बनकर तैयार हो जाएगा
तकरीबन चार लाख की लागत से तैयार हो रहा यह ड्रोन सैटेलाइट से भी संचालित हो सकेगा। दो महीने में इसे तैयार कर परीक्षण किया जाएगा। फिर भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के डिपार्टमेंट आफ प्रमोशन आफ द इंडस्ट्रियल एंड इंटरनल ट्रेड में पेटेंट के लिए आवेदन किया जाएगा। पेटेंट मिलने के बाद इसको राष्ट्र के नाम समर्पित कर दिया जाएगा।
यह है नाम के पीछे की कहानी
मूलत: गाजीपुर के रेवतीपुर गांव निवासी पवन खरवार और छत्तीसगढ़ के माहुद गांव की शेफाली विनोदराम टेके संस्थान के शिक्षक डा. प्रीतिश भारद्वाज और डा. सुनील यादव के निर्देशन में शोध कर रहे हैं। पवन बताते हैं कि वर्ष 1925 में अमेरिका ने पहली बार आम जनता के लिए प्लेन उड़ाया था। ऐसे में इसी नाम को चुना गया है। रोचक तथ्य तो यह है कि पीएस यानी पवन और शेफाली। 1925 यानी पवन का जन्मदिन 19 मार्च और शेफाली का 25 सितंबर। इस लिहाज से सेंसरयुक्त ड्रोन का नाम है रक्षक पीएस-1925।