पीवीसी के दाम में वृद्धि से दवाओं पर महंगाई का डोज
पीवीसी (पॉली विनाइल क्लोराइड) की अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब ढाई से तीन गुना वृद्धि होने का असर दवाओं पर भी पड़ सकता है। पीवीसी से ही दवाओं के रैपर और सिरप के कैप तैयार किए जाते हैं। दवा कंपनियों ने डिस्ट्रीब्यूटरों को मैसेज भेजकर नए साल से दवाओं के रेट में भी लगभग 20 से 30 फीसद तक की संभावित वृद्धि के लिए आगाह करने लगी हैं।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज : पीवीसी (पॉली विनाइल क्लोराइड) की अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब ढाई से तीन गुना वृद्धि होने का असर दवाओं पर भी पड़ सकता है। पीवीसी से ही दवाओं के रैपर और सिरप के कैप तैयार किए जाते हैं। दवा कंपनियों ने डिस्ट्रीब्यूटरों को मैसेज भेजकर नए साल से दवाओं के रेट में भी लगभग 20 से 30 फीसद तक की संभावित वृद्धि के लिए आगाह करने लगी हैं।
पीवीसी की आपूíत चाइना, इंडोनेशिया, वियतनाम, कोरिया, थाईलैंड से भारत समेत अन्य दूसरे देशों में होती है। डेढ़-दो महीनों से इन देशों से पीवीसी की आपूíत बाधित होने से इसके रेट ढाई से तीन गुने तक चढ़ गए हैं। इसका असर अब धीरे-धीरे निर्माण इकाइयों पर भी पड़ने लगा है। दवाओं को बनाने में इस्तेमाल होने वाले रैपर (पत्ते) और सिरप में प्रयोग होने वाले कैप पीवीसी से ही बनाए जाते हैं। लिहाजा, जनवरी के पहले अथवा दूसरे सप्ताह से दवाओं और सिरप के रेट भी बढ़ने के आसार हैं।
किन दवाओं के बढ़ गए दाम : पैरासीटामॉल, एजिट्रोमाइसीन और न्यूमोस्लाइड के बल्क ड्रग्स के रेट अभी से ही लगभग 20 फीसद तक बढ़ गए हैं। पीवीसी की वजह से दवाओं के रेट में और इजाफा हो सकता है। कोरोना के दूसरे चरण की वजह से अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर एक देश से दूसरे देश में आने पर लगे प्रतिबंध की वजह से पीवीसी के रेट में इतनी वृद्धि हुई है। इससे हर तरह की दवाओं के रेट तेजी से बढ़ने की संभावना है। पैकिग संबंधी अन्य व्यवसाय पर भी इसका असर पड़ सकता है।
अनिल दुबे, अध्यक्ष इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन।