Move to Jagran APP

बदरे आलम...नहीं भाई ये हैं बजरंगी भाई जान, विहिप को दे दी अपनी जमीन Prayagraj News

बात जब सांप्रदायिक सौहार्द की होती है तो प्रयागराज में एक नाम डॉक्‍टर बदरे आलम का भी आता है। उन्‍होंने विहिप कार्यालय बनाने के लिए अपनी भूमि दे दी। वह दुबई में जॉब छोड़कर आए हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 02:03 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 02:03 PM (IST)
बदरे आलम...नहीं भाई ये हैं बजरंगी भाई जान, विहिप को दे दी अपनी जमीन Prayagraj News
बदरे आलम...नहीं भाई ये हैं बजरंगी भाई जान, विहिप को दे दी अपनी जमीन Prayagraj News

प्रयागराज, [ज्ञानेंद्र सिंह]। डॉ. बदरे आलम  सांप्रदायिक सौहार्द की अलबेली मिसाल हैैं। विश्व हिंदू परिषद कार्यालय के लिए जमीन की बात चली तो डॉ. आलम ने अपनी पांच बिस्वा जमीन स्वेच्छा से दान में दे दी। उसके बाद से ये विश्व हिंदू परिषद के बजरंगी भाई जान के नाम से मशहूर हो गए। विश्व हिहदू परिषद (विहिप) के पदाधिकारी उन्हें इसी नाम से बुलाते हैैं।

loksabha election banner

दुबई से वापस अपने वतन लौटे हैं डॉ. बदरे आलम, कर रहे समाजसेवा 

गंगापार में फूलपुर के आटा गांव निवासी डॉ. बदरे आलम ने बीएएमएस किया। कुछ साल प्रैक्टिस करने के बाद दुबई चले गए। लगभग 14 वर्ष जॉब करने के बाद स्वदेश लौट आए। अब एक कंपनी में सलाहकार हैैं। इसके साथ ही समाजसेवा में भी जुटे हैैं। समाज सेवा के दौरान ही उनकी पहचान विहिप नेताओं से हुई। विहिप जिलाध्यक्ष रहे सर्वेश मिश्रा से उनके करीबी रिश्ते बन गए। विहिप गंगापार के संगठन मंत्री भूपेंद्र ने बताया कि डॉ. आलम अक्सर केसर भवन भी आते हैैं। लगभग सभी कार्यक्रमों में शामिल होते हैैं। करीब तीन साल पहले गंगापार में विहिप का कार्यालय खोलने के लिए जमीन की बात सामने आई तो डॉ. आलम आगे आए। उन्होंने झूंसी के भुलई का पूरा में अपनी पांच बिस्वा जमीन विहिप के नाम रजिस्ट्री कर दी, जहां अब कार्यालय बनाने की तैयारी है।

विहिप के सामाजिक सौहार्द कार्यक्रम में वह बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैैं

डॉ. आलम के पिता अब्दुल खालिद शिक्षक थे। डॉ. आलम पिता की इकलौती संतान हैैं। कहते हैैं कि विहिप देश और समाज को आगे ले जाने वाला संगठन है। विहिप के नेताओं के साथ उठने-बैठने में उन्हें किसी तरह की कभी दिक्कत नहीं हुई, बल्कि विहिप के सामाजिक सौहार्द के जब भी कार्यक्रम होते हैैं तो उसमें वह बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैैं।

बोले आलम, अयोध्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन्हें कुबूल है

50 वर्षीय डॉ. आलम कहते हैैं कि अयोध्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन्हें कुबूल है। कहा कि इसमें किसी की जीत अथवा हार नहीं है। यह ऐतिहासिक निर्णय है, जो पूरी दुनिया को संदेश देता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.