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अबकी अमरूद की खूबसूरती पर लगा रोगों का दाग Prayagraj News

प्रयागराज और कौशांबी में तकरीबन तीन हजार हेक्टेयर में अमरूद की पैदावार होती है। उक्ठा रोग के कारण करीब 30 फीसद पेड़ सूख गए हैं। 35 फीसद फसल खैरा रोग और कीड़ों से खराब हो गई।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 05:18 PM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 06:25 PM (IST)
अबकी अमरूद की खूबसूरती पर लगा रोगों का दाग Prayagraj News
अबकी अमरूद की खूबसूरती पर लगा रोगों का दाग Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज और कौशांबी के अमरूद पूरी दुनिया में मशहूर हैैं। खासकर सेबिया, जिसे सुर्खा के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ सफेदा अमरूद की भी पैदावार यहां बड़े पैमाने पर होती है, लेकिन इस बार अमरूद की फसल को कई रोग ने घेर लिया है। इन रोगों के कारण अमरूद में कीड़े लग जा रहे हैैं तो बड़ी संख्या में पेड़ सूख रहे हैैं। अमरूद की खूबसूरती भी कम हो गई है। अमरूद की पैदावार करने वाले किसान इसे लेकर परेशान हैैं। उनकी चिंता यह भी है कि सूख रहे पेड़ों के बचाने के लिए अब तक कोई कारगर इलाज भी नहीं है। पैदावार कम होने से इस बार अमरूद की कीमत भी अधिक है।

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प्रयागराज और कौशांबी में तकरीबन तीन हजार हेक्टेयर में अमरूद की पैदावार होती है। इसमें से अकेले कौशांबी जिले में लगभग दो हजार हेक्टेयर में अमरूद की खेती होती है। प्रयागराज और कौशांबी की सीमा पर स्थित बाकराबाद गांव सुर्खा अमरूद की पैदावार के लिए प्रसिद्ध है। इसकी खासियत है कि यह अमरूद सिर्फ इसी इलाके में होता है। किंतु, दोनों ही जिलों में इस बार अमरूद कई रोगों से घिर गया है। इसका असर पैदावार पर भी पड़ रहा है। इस बार अमरूद की फसल खैरा, उक्ठा रोग की चपेट में है। उक्ठा रोग के कारण करीब 30 फीसद पेड़ सूख गए हैं। जबकि लगभग 35 फीसद फसल खैरा रोग और कीड़ों की वजह से खराब हो गए है।

प्रयागराज कौशांबी सीमा पर स्थित बाकराबाद गांव में अमरूद की पैदावार करने वाले प्रमुख किसान मुन्ना पटेल बताते हैं कि खैरा रोग के कारण पेड़ में लगे अमरूद फट जा रहे हैं। उनकी खूबसूरती भी चली गई है। कीड़े लगने से भी काफी फसल खराब हो गई है। मुन्ना बताते हैं कि उक्ठा रोग का अब तक कोई कारगर इलाज भी नहीं है। फसल खराब होने के कारण इस बार बाजार में अमरूद की कीमत भी काफी अधिक हो गई है।

वहीं, औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र खुसरोबाग के उद्यान विशेषज्ञ कृष्ण मोहन चौधरी का कहना है कि

इस बार अमरूद की फसल पर मौसम की मार पड़ी है। काफी अधिक समय तक बारिश होने और तेज हवा के कारण अमरूद की फसल को नुकसान हुआ है।

अमरूद के बाग को हो रहा नुकसान

खुसरोबाग में 14.50 हेक्टेयर में अमरूद के बाग हैं। किंतु, यहां आसपास रहने वालों के कारण अमरूद की फसल को काफी नुकसान हो रहा है। उद्यान विशेषज्ञ श्री चौधरी बताते हैैं कि सुबह-शाम टहलने आने वाले लोग अमरूद के पेड़ से नई पत्तियां तोड़ लेते हैैं। दिन में अराजकतत्व अंदर आ जाते हैैं और पेड़ों से अमरूद तोड़ लेते हैं। मना कर पर झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं। बताया कि पहले बाग में चारों तरफ लोहे की रेलिंग लगी थी, लेकिन सौंदर्यीकरण के दौरान रेलिंग हटा दी गई। जिसे दोबारा नहीं लगाया गया। इसकी वजह से अमरूद के बाग को नुकसान पहुंच रहा है।


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