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योग गुरु आनंद गिरि का महंत नरेंद्र गिरि से सुलह यूं ही नहीं हुआ, देश-विदेश के शिष्‍य कर कर रहे थे प्रयास

योग गुरु आनंद गिरि और उनके गुरु महंत नरेंद्र गिरि के फिर से मिलन में कुछ महात्माओं के अलावा देश-विदेश में रहने वाले दोनों गुरुओं के शिष्य व प्रयागराज में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने पर्दे के पीछे से विवाद का पटाक्षेप कराने में सक्रिय भूमिका निभाई।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 27 May 2021 01:59 PM (IST)Updated: Thu, 27 May 2021 02:14 PM (IST)
योग गुरु आनंद गिरि का महंत नरेंद्र गिरि से सुलह यूं ही नहीं हुआ, देश-विदेश के शिष्‍य कर कर रहे थे प्रयास
महत्‍वपूर्ण लोगों की पहल पर फिर योग गुरु आनंद गिरि और उनके गुरु महंत नरेंद्र गिरि का मिलन हुआ।

प्रयागराज, [शरद द्विवेदी]। यह महज संयोग है कि बुद्ध पूर्णिमा पर शिष्य गुरु चरणों में पहुंच गया। वैसे तो बुधवार को देश-दुनिया में चंद्र को ग्रहण भी लगा लेकिन, प्रयागराज इससे अछूता रहा। यहां तो देश-दुनिया के शिष्यों की पहल पर चर्चित शिष्य को भी ग्रहण नहीं लग सका है। हम बात कर रहे गुरु नरेंद्र गिरि व उनके शिष्य आनंद गिरि के मिलन की। गुरु-चेला का मिलन यूं ही नहीं हुआ। इसके पीछे बड़े हनुमान मंदिर व श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी के प्रति आस्था रखने वाले लोगों का प्रयास छिपा है। जो गुरु-शिष्य के विवाद से मठ-मंदिर की छवि धूमिल होने से वह आहत थे। 

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सुलह कराने में एक पुलिस अधिकारी ने भी निभाई अहम भूमिका

इसमें कुछ महात्माओं के अलावा देश-विदेश में रहने वाले दोनों गुरुओं के शिष्य व प्रयागराज में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने पर्दे के पीछे से विवाद का पटाक्षेप कराने में सक्रिय भूमिका निभाई। पुलिस अधिकारी ने कई महात्माओं से संपर्क साधा था। यही कारण है कि मठ की जमीन बेचने, मंदिर के चढ़ावा का दुरुपयोग करने सहित तमाम आरोप लगाने के बावजूद नरेंद्र गिरि ने शिष्य को माफ कर दिया। 

14 मई को आनंद गिरि निरंजनी अखाड़ा से हुए थे निष्कासित

महंत नरेंद्र गिरि का उनके शिष्य आनंद गिरि के बीच काफी समय से मनमुटाव चल रहा था। तल्खी हरिद्वार कुंभ में भी बनी रही। यही कारण है कि दोनों अलग-अलग रहे, बोलचाल भी कम हुआ। नरेंद्र गिरि कोरोना से संक्रमित हुए तब आनंद गिरि एक बार उनसे मिलने गए थे। फिर अचानक 13 मई को बड़े हनुमान मंदिर के महंत व श्रीमठ बाघम्बरी प्रयागराज के पीठाधीश्वर महंत नरेंद्र गिरि ने श्रीनिरंजनी अखाड़ा को पत्र भेजकर बताया कि आनंद गिरि का उनके परिवार से संबंध है। मंदिर के चढ़ावा में हेरफेर करने का आरोप लगाते हुए उन्हें मठ-मंदिर से निष्कासित कर दिया है। इस शिकायत पर निरंजनी अखाड़ा ने 14 मई को आनंद गिरि को अखाड़ा से निष्कासित कर दिया गया।  

गुरु-शिष्य का विवाद मीडिया की सुर्खियां बनी

निष्कासन के बाद आनंद गिरि ने गुरु पर तमाम आरोप लगाए। गुरु-शिष्य का विवाद मीडिया की सुर्खियां बनी तो देश-विदेश में रहने वाले वो लोग सक्रिय हो गए, जिनकी आस्था बड़े हनुमान जी व मठ पर है। आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, ओमान व लंदन में रहने वाले प्रवासी भारतीयों के अलावा हरिद्वार, लखनऊ, दिल्ली, मुंबई सहित अनेक शहरों में रहने वाले वो लोग सक्रिय हो गए जिनका नरेंद्र गिरि व आनंद गिरि से आत्मीय जुड़ाव था। इधर, निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी, महामंडलेश्वर संतोष दास 'सतुआ बाबा' जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि सहित तमाम महात्मा दोनों पक्ष को मिलाने की दिशा में पहल करने लगे। सभी प्रभावशाली थे, इसी कारण महंत नरेंद्र गिरि उनकी बात टाल नहीं सके। मिलने का स्थान भी लखनऊ में रहने वाले एक शिष्य का घर चुना गया। वहीं, दोनों को मिलाकर विडियो संदेश जारी किया गया।


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