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दीक्षा ने अपनी जिद से लिख दी नई दास्तां Prayagraj News

मूलरूप से गोरखपुर के बक्शीपुर की रहने वाली दीक्षा तिवारी 2015 में रेलवे में टीटीई नियुक्ति हुईं। आज इलाहाबाद जंक्शन पर राजस्व इकट्ठा करने वाली महिला टीटीई की सूची में शीर्ष पर हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 03:18 PM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 03:18 PM (IST)
दीक्षा ने अपनी जिद से लिख दी नई दास्तां Prayagraj News
दीक्षा ने अपनी जिद से लिख दी नई दास्तां Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन : रेलवे में टीटीई की नौकरी मिलने पर सात जनवरी 2016 को इलाहाबाद जंक्शन के गेट नंबर-1 पर मेरी पहली ड्यूटी टिकट चेकिंग में लगी। पहले दिन दो यात्री ऐसे मिले जो, जुर्माना भरना नहीं चाहते थे। दबाव डालने पर धमकी देने लगे। मैंने भी ठान लिया कि बिना जुर्माना लिए जाने नहीं दूंगी। उनसे जुर्माना भरवाया। उस दिन से ठान लिया कि किसी से डर के काम नहीं करूंगी। तब से जो सफर शुरू हुआ उसने मुझे आज नए मुकाम पर पहुंचा दिया है। मैं आज इलाहाबाद जंक्शन पर राजस्व इकट्ठा करने वाली महिला टीटीई की सूची में शीर्ष पर हूं। इलाहाबाद मंडल की हॉकी टीम की डिफेंडर भी हूं।

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बचपन से दीक्षा में खेलने की ललक थी

मूलरूप से गोरखपुर के बक्शीपुर की रहने वाली दीक्षा तिवारी 2015 में रेलवे में टीटीई (ट्रैवलिंग टिकट एग्जामिनर) नियुक्ति हुईं। पिता विजय प्रताप तिवारी कारोबारी हैं। मां प्रियंबदा त्रिपाठी भी रेलवे में नौकरी करती हैं। मां बास्केटबॉल की राष्ट्रीय खिलाड़ी रहीं तो बचपन से दीक्षा में खेलने की ललक थी। उसने हॉकी को अपना खेल चुना। सब जूनियर चैंपियनशिप में बेस्ट डिफेंडर का खिताब जीतने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 10 राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता में नाम कमाया। साढ़े तीन साल से इलाहाबाद जंक्शन पर ड्यूटी के दौरान उसे रोजाना सैकड़ों लोगों का सामना करना पड़ता है। लोग मुस्कराकर टिकट तो चेक कराते हैं, जब कोई पकड़ा जाता है तो जुर्माना देने के नाम पर लडऩे को तैयार हो जाता है। दीक्षा शुरुआत में ऐसी स्थिति में थोड़ा विचलित होती थी। मगर धीरे-धीरे उसने अपने आपको बदल लिया। आज टिकट चेकिंग स्टाफ में दीक्षा को जितना पसंद किया जाता है, उतना ही महत्व इलाहाबाद मंडल की हॉकी टीम में भी उसे दिया जा रहा है।

साथियों के लिए भी प्रेरणा बनी दीक्षा

इलाहाबाद जंक्शन से सीआइटी डोरी लाल शर्मा बताते हैं कि दीक्षा आज कामर्शियल विभाग में कर्मठ कर्मचारियों की सूची में शामिल है। दीक्षा का काम बोलता है। वह एक माह में लगभग एक लाख रुपये का राजस्व इकट्ठा करती हैं। उसका व्यक्तित्व ऐसा है कि अन्य टीटीई उससे प्रेरणा लेते हैं। दीक्षा ने चेकिंग स्टाफ के साथ इलाहाबाद मंडल की हॉकी टीम का नाम भी रोशन कर रखा है।


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