प्रयागराज में जल्द ही प्लास्टिक कचरे से तैयार होगा डीजल, 80 लाख से लग रहा प्लांट
नगर निगम प्रशासन ने बसवार स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट के संचालन की जिम्मेदारी मेसर्स हरीभरी को दी है। एजेंसी पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्लास्टिक के कचरे से डीजल गैस और कपड़े से कोयले का पाउडर बनाने के लिए दो टन क्षमता का प्लांट लगा रही है।
प्रयागराज, राजकुमार श्रीवास्तव। घरों से निकलने वाले प्लास्टिक कचरे और खराब कपड़ों से मेसर्स हरी भरी डीजल (फर्नेस ऑयल), गैस एवं कोयले का पाउडर बनाएगी। इसके लिए करीब 80 लाख रुपये की लागत से बसवार में अलग प्लांट लग रहा है। प्लांट के इसी महीने के दूसरे अथवा तीसरे सप्ताह से शुरू होने की उम्मीद है।
बसवार में लगाया जा रहा प्लांट
नगर निगम प्रशासन ने बसवार स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट के संचालन की जिम्मेदारी मेसर्स हरीभरी को दी है। एजेंसी पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्लास्टिक के कचरे से डीजल, गैस और कपड़े से कोयले का पाउडर बनाने के लिए दो टन क्षमता का प्लांट लगा रही है। इन चीजों के उत्पादन के लिए पायरोलाइसिस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके तहत प्लास्टिक कचरे को 700 डिग्री सेंटीग्रेट पर गलाया जाएगा। इससे करीब 70 फीसद डीजल निकलेगा और बाकी की गैस बनेगी। प्लांट में प्रतिदिन लगभग 1400 लीटर डीजल तैयार होने का अनुमान है। हालांकि, इसकी गुणवत्ता सामान्य डीजल से कमतर होती है। जो गैस बनेगी उसी से प्लांट का संचालन भी किया जाएगा। वहीं, कपड़े के जलने पर कोयले का पाउडर भी निकलेगा।
कहां होता है इसका इस्तेमाल
कोयले के पाउडर का इस्तेमाल सीमेंट प्लांट, ईंट के भट्ठे और डीजल का प्रयोग सड़कों के निर्माण, कारखाने एवं ब्वायलर में होता है। प्लास्टिक कचरे का सही सदुपयोग होने से पर्यावरण को भी फायदा होगा। प्लास्टिक कचरे के जला देने से पर्यावरण को नुकसान होता है, जबकि उसे नाले-नालियों में फेंक देने से वह भी जाम हो जाती हैं। महाराष्ट्र, मुंबई, नागपुर, पुणे में प्लास्टिक कचरे से डीजल, गैस बनाने का काम काफी समय से हो रहा है।
पर्यावरण अभियंता और संस्था के अधिकारी का बयान
उत्तम कुमार वर्मा, पर्यावरण अभियंता का कहना है कि मशीनें लगाने का काम 80 फीसद से ज्यादा हो गया है। इसी महीने के दूसरे-तीसरे सप्ताह से प्लांट संचालन शुरू हो जाएगा।
चीफ आपरेटिंग ऑफीसर, मेसर्स हरी-भरी अरुण राय ने कहा कि डीजल और कोयले के पाउडर को बाजार में बेचा जाएगा। इसके लिए बातचीत चल रही है। लेकिन, अभी फाइनल नहीं है। डीजल का प्रयोग सड़क बनाने में होता है।