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Devotthan Ekadashi 2020 : जाग्रत हुए श्रीहरि विष्‍णु, प्रयागराज में गंगा-यमुना के संगम में डुबकी लगा रहे भक्त

Devotthan Ekadashi 2020 भगवान विष्णु के जाग्रत होने पर शुभ व मांगलिक कार्य पुन आरंभ हो जाएंगे। चहुंओर शहनाई की गूंज होगी। गृहप्रवेश यज्ञोपवीत नामकरण नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ जैसे कार्य होने लगेंगे। भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि से शयन पर चले गए थे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 07:45 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 07:45 AM (IST)
Devotthan Ekadashi 2020 : जाग्रत हुए श्रीहरि विष्‍णु, प्रयागराज में गंगा-यमुना के संगम में डुबकी लगा रहे भक्त
देवोत्थान एकादशी पर प्रयागराज में भक्तिमय माहौल में भगवान विष्‍णु का पूजन हो रहा है।

प्रयागराज, जेएनएन। कार्तिक शुक्लपक्ष की देवोत्थान (देवउठनी) एकादशी पर बुधवार की सुबह 4.30 बजे भगवान श्रीहरि विष्णु जाग्रत हो गए। मठ, मंदिर व घरों में भगवान के पांच माह बाद जागने की खुशी मनाई गई। महिलाओं ने सुबह गन्ने से सूप को पीटकर दरिद्रता जाने की कामना की। इसके बाद संगम, गंगा व यमुना में डुबकी लगाने के लिए लोग पहुचने लगे। संगम के पावन जल में डुबकी लगाने के लिए दूरदराज से हजारों भक्त आ रहे हैं। स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देकर लोग पूजन करके मनोवांछित फल की प्राप्ति की कामना कर रहे हैं।

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भगवान विष्णु के जाग्रत होने पर शुभ कार्य शुरू होंगे

भगवान विष्णु के जाग्रत होने पर शुभ व मांगलिक कार्य पुन: आरंभ हो जाएंगे। चहुंओर शहनाई की गूंज होगी। गृहप्रवेश, यज्ञोपवीत, नामकरण, नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ जैसे कार्य होने लगेंगे। भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि से शयन पर चले गए थे। इससे मांगलिक कार्य अभी तक बंद थे।

भगवान शालिग्राम से तुलसी का होगा विवाह

एकादशी पर बुधवार की सुबह से मठ-मंदिरों में भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करके विधि-विधान से पूजन किया जा रहा है। उन्हें मिष्ठान, सिंघाड़ा, गन्ना रस अर्पित करके शंख, घंटा-घडिय़ाल बजाकर खुशी मनाई जा रही है। वहीं शाम को भगवान शालिग्राम से तुलसी का विवाह किया जाएगा। कहा जाता है कि जिन दंपतियों को कन्या नहीं हैं, वे तुलसी को कन्यादान करके पुण्य अर्पित कर सकते हैं।

आज ऐसा करने से बचें

विद्वानों की मानें तो देवोत्थान एकादशी पर सतर्कता भी बरतनी चाहिए। गोभी, पालक, शलजम व चावल का सेवन न करें। बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए। किसी पेड़-पौधों की पत्तियां न तोड़े, भूल से भी किसी को कड़वी बातें न बोलें। दूसरे से मिले भोजन को ग्रहण न करें।

शाम को किया जाएगा दीपदान

देवोत्थान एकादशी पर बुधवार की शाम को दीपदान किया जाएगा। संगम, गंगा व यमुना के तट पर पहुंचकर लोग दीपदान करेंगे। दीपदान करके भगवान विष्णु के जाग्रत होने की खुशी मनाई जाएगी। वहीं इस पावन अवसर को खास बनाने के लिए कुछ लोग सात फेरे लेकर विवाह करेंगे।


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