प्रयागराज में सूर्य ग्रहण खत्म होने पर भक्तों ने लगाई संगम में डुबकी, स्नान के बाद किया दान
ग्रहण काल में आराध्य का स्मरण करते रहे। जबकि ग्रहण खत्म होने पर गंगा यमुना के अलावा संगम के पवित्र जल में स्नान किया। सनातन धर्मावलंबियों ने स्नान करने के बाद यथासंभव दान-पुण्य किया। संगम तट पर स्नान-दान का सिलसिला रात तक चलता रहा।
प्रयागराज,जेएनएन। ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर गुरुवार को पड़े सूर्य ग्रहण का प्रभाव भले नहीं था। न ही ग्रहण दिखाई पड़ा। इसके बावजूद लोगों ने ग्रहण की बंदिशों को नियमानुसार माना। ग्रहण काल दोपहर 1.43 से शाम 6.41 बजे तक मंदिरों का कपाट बंद रहे। ग्रहण खत्म होने पर धुलाई करके मंदिरों को खोला गया। घरों में लोगों ने सूतक मानते हुए खाने-पीने से परहेज किया। ग्रहण काल में आराध्य का स्मरण करते रहे। जबकि ग्रहण खत्म होने पर गंगा, यमुना के अलावा संगम के पवित्र जल में स्नान किया। सनातन धर्मावलंबियों ने स्नान करने के बाद यथासंभव दान-पुण्य किया। संगम तट पर स्नान-दान का सिलसिला रात तक चलता रहा।
मनाया गया शनिदेव का प्राकट्य उत्सव
सनातन धर्मावलंबियों ने गुरुवार को न्याय के देवता शनिदेव का प्राकट्य उत्सव श्रद्धा से मनाया। शनि व हनुमान मंदिर में मत्था टेककर आशीष लिया। नवग्रह मंदिर रामबाग, शनिधाम अतरसुइया, नैनी शनि मंदिर, मां ललिता देवी मंदिर स्थित नवग्रह मंदिर, बड़े हनुमान मंदिर, हनुमत निकेतन आदि मंदिरों में लोगों ने मत्था टेककर आशीष लिया। साढ़े साती, ढैया व शनि प्रकोप से मुक्ति के लिए शनिदेव को काला वस्त्र, उड़द, सरसों का तेल अर्पित किया। साथ ही काला कपड़ा, सरसों का तेल, लोहे की कटोरी या कील का दान किया। घरों में 'ऊं शं शनैश्चराय नम:Ó का 108 बार जप, हनुमान चालीसा व सुंदरकांड का पाठ करके समस्त विघ्न बाधा से मुक्ति की कामना किया।