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Ganga Dussehra 2020 : प्रयागराज में संगम समेत गंगा के घाटों पर स्नान-दान और पूजन को जुटे श्रद्धालु

गंगा दशहरा पर गंगा पूजन और दीपदान को घाटों पर लोग जुटे हैं। हालांकि कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते बड़े और सामूहिक आयोजन नहीं होंगे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 10:20 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 10:33 AM (IST)
Ganga Dussehra 2020 : प्रयागराज में संगम समेत गंगा के घाटों पर स्नान-दान और पूजन को जुटे श्रद्धालु
Ganga Dussehra 2020 : प्रयागराज में संगम समेत गंगा के घाटों पर स्नान-दान और पूजन को जुटे श्रद्धालु

प्रयागराज, जेएनएन। गंगा दशहरा के अवसर संगम सहित गंगा नदी के विभिन्न घाटों पर सोमवार की सुबह से ही श्रद्धालु जुटने लगे हैं। स्नान और पूजन के बाद दान-पुण्य हो रहा है। संगम पर स्थानीय लोगों का जमावड़ा अधिक है। अलग-अलग तहसीलों से स्नानार्थी आए हैं। आस-पड़ोस के जनपदों से लोग नहीं पहुंचे। पूजन करके लोग गंगा का अवतरण दिवस मना रहे हैं। नैनी के महाकाल घाट पर भी भीड़ जुटी है। दीपदान भी गंगा के जल में होगा।

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कोरोना संक्रमण से बड़े और सामूहिक आयोजन नहीं होंगे

गंगा दशहरा पर गंगा पूजन और दीपदान को घाटों पर लोग जुटे हैं। हालांकि कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते बड़े और सामूहिक आयोजन नहीं होंगे। वहीं लॉकडाउन के खुलने से लोग गंगा स्नान के लिए संगम तथा अन्य घाटों पर पहुंच रहे हैं। कुछ समितियों की ओर से भी पूजन के आयोजन होंगे।

जानें क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा

देवनदी गंगा के पृथ्वी पर अवतरण के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष गंगा दशहरा मनाया जाता है। गंगा दशहरा पर प्रतिवर्ष स्थानीय लोगों के साथ पास के जनपदों से भी श्रद्धालु ट्रैक्टरों एवं अपने निजी साधनों से संगम में स्नान के लिए आते रहे हैं। पिछले दो साल से जिला प्रशासन ने भी इस मौके पर गंगा आरती शुरू की थी। गंगा के किनारे मेले जैसा नजारा होता था लेकिन इस बार मेले के आयोजन पर असमंजस है। इस दिन घरों में दाल की पूड़ी (बेडऩी) और कद्दू की सब्जी बनाने की परंपरा है। गंगा जी को दाल और गुड़ चढ़ाने के साथ 10 वस्तुओं का दान करने की भी परंपरा है।

गंगा आरती, गंगा पूजन, दीपदान अरैल घाट पर करने का निर्णय

प्रयाग संगम आरती समिति की ऑनलाइन बैठक में गंगा दशहरा पर गंगा आरती एवं गंगा पूजन के संबंध में विमर्श हुआ। कोविड-19 आपदा के मद्देनजर सामूहिक आयोजनों पर प्रतिबंध के कारण गंगा आरती, गंगा पूजन, दीपदान अरैल घाट पर करने का निर्णय लिया गया। फलाहारी आश्रम के संत स्वामी रामरतन दास जी के द्वारा पांच बटुकों के साथ शारीरिक दूरी मानक का पालन करते हुए कार्यक्रम को संपन्न कराया जाएगा। बैठक में अध्यक्ष रविकांत, मंत्री अरुण किशोर खन्ना, प्रमोद बंसल, शांति चौधरी आदि शामिल रहीं।

मीरा, सूर, रहीम, बिहारी की अनुपम पहचान है गंगा....

प्रयागराज सेवा समिति के तत्वावधान में रविवार को मां गंगा पर आधारित ऑनलाइन कवि सम्मेलन हुआ। डा. शंभूनाथ त्रिपाठी 'अंशुल' ने वाणी वंदना से सम्मेलन की शुरुआत की और अपनी कविता के माध्यम से कहा कि मीरा, सूर, रहीम, बिहारी की अनुपम पहचान है गंगा, प्रवाहमान तुलसी का मानस भारत भू प्रतिभाग है मां गंगा। अवध नारायण शुक्ल 'अनपढ़' ने कहा कि गंगा हमारी मां है, हम इसको नमन करें। मोक्ष है अमृत जल उसी का आचमन करें। संस्था के सचिव तीर्थराज पांडेय ने कवियों का स्वागत किया। अध्यक्ष धर्मराज पांडेय ने सभी को गंगा दशहरा की बधाई दी।


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