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Denmark से प्रयागराज पहुंचीं मुन्‍नू की नई 'मॉम', जानिए दिव्‍यांग मासूम की कैसे संवरी जिंदगी

दिव्यांग मुन्नू अब डेनामार्क के एसबर्ग शहर में रहेगा। उसकी नई मां करीना लाइक रसमुसेन एसबर्ग में कृत्रिम अंग बनाने का काम करती हैं। रसमुसेन अपनी मां हेडा के साथ मुन्नू को लेने प्रयागराज आई हैं। अधिकारियों की मौजूदगी में मुन्नू को करीना के हवाले किया गया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 03:10 PM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 03:10 PM (IST)
Denmark से प्रयागराज पहुंचीं मुन्‍नू की नई 'मॉम', जानिए दिव्‍यांग मासूम की कैसे संवरी जिंदगी
दिव्‍यांग व बेसहारा मासूम के जीवन में उजियारा आ चुका है। डेनमार्क की महिला ने उसे गोद लिया है।

प्रयागराज, जेएनएन। किस्मत अचानक कैसे बदलती है, इसका उदाहरण दिव्यांग मुन्नू को देखकर लगाया जा सकता है। सात साल से राजकीय बाल गृह में रह रहे इस बच्चे को लेने इसकी नई मॉम विदेश से यहां आई हैं। वह अब मुन्नू को लेकर डेनमार्क जाएंगी। वहीं अब इसकी परवरिश होगी। अनाथालय से गोद लेने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। मासूम मन्नू को नई मां के हाथ सौंप दिया गया है। मुन्नू को जन्म देने वाली मां का पता नहीं है। 2013 में वह उसे जन्म देने के छह दिन बाद ही बलिया में लावारिस हालत में छोड़ कर चली गई थी।

डेनमार्क के एसबर्ग शहर में रहेगा मुन्नू
दिव्यांग मुन्नू अब डेनामार्क के एसबर्ग शहर में रहेगा। उसकी नई मां करीना लाइक रसमुसेन एसबर्ग में कृत्रिम अंग बनाने का काम करती हैं। रसमुसेन अपनी मां हेडा के साथ मुन्नू को लेने प्रयागराज आई हैं। जिला प्रोबेशन अधिकारी पंकज मिश्र एवं राजकीय बाल गृह के अधीक्षक हरीश श्रीवास्तव की उपस्थिति में करीना को मुन्नू को सौंपा गया। अफसरों ने गोद लेने की सारी प्रक्रिया पूरी कराई। करीना ने बताया कि वह अभी कुछ दिन तक अपनी मां हेडा और मासूम मुन्नू के साथ प्रयागराज में ही रहेगी। फिर वह दिल्ली जाएगी। दिल्ली में वीजा की प्रक्रिया पूरी होगी। 22 मार्च के बाद मुन्नू को लेकर डेनमार्क चली जाएंगी। मुन्नू नए परिवार के साथ विदेश में अपनी नई जिदंगी शुरू करेगा।

बलिया में लावारिस मिला था
जिला प्रोबेशन अधिकारी पंकज मिश्र बताते हैं कि दिव्यांग मुन्नू 2013 में बलिया में लावारिस मिला था। नवजात मुन्नू उस समय छह दिन का था। उसकी मां रेल पटरी पर उसे छोड़ गई थी। नवजात के ऊपर ट्रेन गुजर गई थी, जिससे उसके दोनों पैर कट गए। हादसे में उंगली भी कट गई लेकिन सांस ने साथ नहीं छोड़ा। उसे चाइल्ड लाइन बलिया से प्रयागराज के राजकीय बाल गृह में लाया गया था। यहीं उसे मुन्नू नाम दिया गया। अब उसकी उम्र करीब सात साल है। खास बात यह है कि उसे गोद लेने वाली करीना पिछले 25 साल से कृत्रिम अंग बनाने और लगाने का काम कर रही हैं। उनका कहना है कि जल्द ही मुन्नू अपने पैरों से चलने लगेगा।

दस साल पहले किया था गोद लेने को आवेदन
करीना पिछले दस साल से किसी बच्चे को गोद लेने का प्रयास कर रही थीं। इसके लिए उन्होंने ऑथराइज्ड फॉरेन एडाप्शन एजेंसी (आफा) में आवेदन कर रखा था। करीना बताती हैं कि पहले उन्होंने यूथोपिया के एक बच्चे को पसंद किया था। पर बात नहीं बन पाई थी। उसके बाद प्रयागराज के दिव्यांग मुन्नू की जानकारी मिली। 2019 में उसके आवेदन को मंजूरी मिल गई। इसबीच उन्होंने वीडियो कॉलिंग के जरिए बच्चे से बात की और उसे देखा। इसबीच कई बार वीडियो कॉलिंग कराई जाती रही। हालांकि गोद लेने की प्रक्रिया एक साल पहले ही पूरी कर ली गई थी। पर कोरोना के चलते करीना यहां नहीं आ पाई थीं। अब यह बच्चा अपनी नई मां के पास पहुंच गया है।

डेनिस एवं अंग्रेजी भाषा सीखेगा मुन्नू
जिला प्रोबेशन अधिकारी पंकज मिश्र बताते हैं कि मुुन्नू इस समय काफी खुश है। उसकी मां करीना मुन्नू को डेनिस एवं अंग्रेजी भाषा सीखा रहीं हैं। हालांकि वह स्कूल जाने के लिए बहुत लालायित रहता था। पूछता था कि स्कूल कब जाएगा। उसके पढऩे की ललक को देखकर लखनऊ के मोहान स्थित दिव्यांग स्कूल में उसके प्रवेश की तैयारी थी। तभी डेनमार्क की करीना ने उसे गोद लेने की हामी भर दी। पंकज मिश्र बताते हैं कि अकसर गोद लेेने वाले दंपती बच्चों की छोटी-छोटी कमी को देखते हैं और उसे नापंसद कर देते हैं। वहीं डेनमार्क की करीना ने इस बात को नजरअंदाज कर दिया। गोद लिए जाने पर मुन्नू कह रहा है कि उसकी मां बहुत अच्छी हैं। अब उनके साथ जहाज में बैठेगा। हालांकि राजकीय बाल गृह में उसके कई दोस्त बन गए थे, सब उसके जाने से उदास हैं।

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